गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

दर्द में डूबी हुई आंखें दिखाऊं कैसे,
प्यार का आपसे इज़हार छुपाऊं कैसे।
मौत आती है मगर कोई तमन्ना लेकर,
जिंदगी बोल तुझे जीना सिखाऊं कैसे।
रात आती है हमेशा तेरी यादें लेकर,
ये बता यादों को इस दिल से मिटाऊं कैसे।
मुझको आवाज़ लगाते हैं दुखों के साए
ज़िंदगी मैं तुझे खुशियों से सजाऊं कैसे।
पांव जकड़े हैं मेरे बेड़ियां मजबूरी की
तू ही बतला कि तेरे पास मैं आऊं कैसे
— गरिमा

गरिमा लखनवी

दयानंद कन्या इंटर कालेज महानगर लखनऊ में कंप्यूटर शिक्षक शौक कवितायेँ और लेख लिखना मोबाइल नो. 9889989384