माँ की बात
” रुको , सोम ! रुको ऐसे सड़क पर नहीं भागते । रुको, सुनो !……. जबरन सोम को पकड़ उसकी माँ डाँट रही है ।
वहाँ से गुजरते राम ने यह सब देखा और सुना । इतनी डाँट खाने पर भी सोम अपनी माँ की बात नहीं सुन रहा है । राम बहुत गहरी सोच में आ गया। घर आ उसने माँ से पूछा ” जो बच्चे अपनी मम्मी की बात नही सुनते वो गन्दे होते है क्या???
” वो गन्दे होते है राम”।
राम के मन मे सोम की हरकत घर कर गई । वह लगातार उसके बारे में ही सोचता रहता । जिसके कारण माँ की बात को नहीं मानने की आदत हो गई राम की भी।
” राम अपना कमरा साफ करो “।
” नहीं ,माँ मैं थक गया । आप कर लो” । माँ भी हैरान हो गई इस नई आदत से। उसको समझाती पर राम नहीं समझता।
एक दिन राम माँ के साथ बाजार जा रहा है । वो दोनों सड़क पार कर रहे है । राम माँ का हाथ छुड़ा देता है और भाग के सड़क पार करने जाता है । तभी सामने से ट्रक आ रहा होता है जिसको देख राम घबरा कर गिर जाता है ट्रक की गति तेज होने से वह काबू नहीं हो सकता और राम के ऊपर से निकल गया।
राम बच गया। यह देख उसकी माँ को बहुत खुशी हुई ।
” माँ मैं आपकी सारी बात सुनूँगा, मुझे माफ़ कर दो मैं आपकी बात को अनसुनी किया उसके लिए” । राम को रोते देख माँ भी रोने लगी और उसको गले लगा लिया ।