मुक्तक/दोहा

दोहा

शिक्षक दिन पर व मंच व मित्रों को हार्दिक बधाई, गुरुजनों को नमन! ॐ जय माँ शारदा!

“दोहा”

शिक्षक दिन पर आप को, बहुत बधाई मीत।
मिला ज्ञान इनसे सुखद, गौतम गाए गीत।।

बहुत धीर गंभीर हैं, लिए ज्ञान का बोध
नमन करूँ शारद पुता, नित नव नूतन शोध।।

माँ शारद संचित करो, मेरे अंदर ज्ञान।
नमन करूँ आराध्य को, जय गणेश भगवान।।

बच्चों के प्रिय रूप को, शिक्षक करें दुलार।
जस कुम्हार के चाक पर, माटी का संसार।।

हँसते खाते खेलते, ये भविष्य के रूप।
गौरव की गाथा लिखें, शिक्षक के अनुरूप।।

हाथ पकड़कर चल दिए, लेकर बस्ता भार।
अक्षर से अक्षर मिला, करें शब्द साकार।।

शिक्षा महॅंगी क्यों हुई, क्यों खुल गई दुकान।
माँ शारद के भाव को, भुना रहे बइमान।।

निर्धन शिशु मजबूर है, लिये आस उत्थान।
शारद मंदिर नाम का, पैसा पढ़े सुजान।।

फूल लिए माली खड़ा, द्रव्य लिए धनवान।
विद्या मंदिर पर खड़ा, धन रक्षक बलवान।।

आडंबर जबसे हुआ, शिक्षा की पहचान
निरक्षर विज्ञानी हुए, चमचे हुए सुजान।।

शिक्षा कलियुग की हुई, सतयुग सत्य विधान।
त्रेता तपता रह गया, द्वापर दक्ष समान।।

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ