करनी का फल
“माँ आपने छोटू भैया को अपने घर के अंदर क्यों नहीं आने दिया ?भैया आधी रात में कहाँ जायेंगें ।माँ आप कहती थी कजिन मत कहो , फिर अचानक आपने भैया को पराया क्यों कर दिया ?”
सुमि को समझ में नहीं आ रहा था कि अपने किशोर वय बेटे को कैसे इन घरेलू जमीन जायदाद के झगड़ों के बारे में समझाये । फिर भी उसने बाल मन पर गलत प्रभाव नहीं पड़े इस वज़ह से बिट्टू को अपने पास बुलाई और बोली ; “बेटा छोटू भइया गलत संगत में पड़ कर खुद अपना नुकसान कर रहे हैं।गुंडे मवाली से साँठ-गाँठ कर अपने पड़ोसी को डरा धमका रहे हैं ।वह नहीं जानते कि बुरे काम का बुरा नतीजा होता है।”
“जानते हो अपने आम के बाग में तेरे बाबा मधुमक्खी पालन करते थे । उसी बाग में चींटें भी आ धमके कड़ी धूप से बचने के लिये उन्होंने आम के वृक्ष में शरण ली । फलों का राजा स्वभाव से परोपकारी था ,उसके जड़ों में एक खोढ़र था ,वहाँ चींटे रहने लगे। इससे आम को कोई आपत्ति नहीं हुई । धीरे-धीरे चींटे शैतानी करने लगे ,आये दिन वहाँ अपने बदमाश मित्रों को बुला कर गोली बारूद की बात करते थे । वे मधुमक्खियों के घरों में जबरद्स्ती घुसपैठ करने लगे। सबने उन्हें समझाया ,लेकिन चींटों को गलत सोहबत में असमय पंख निकल आये। वे बार बार उड़कर मधुमक्खियों को तंग करने लगे । यह खबर बागवान तक पहुँची उसने चींटों को मारने के लिये कीटनाशक का छिड़काव करवा दिया ।सभी चींटे असमय काल कलवित हो गये ।”
“ओह तो क्या छोटू भइया भी मारे जायेंगे ?हाँ उनके हाथ में भी मैनें पिस्तौल देखी थी ! थैंक्स माँ आपने एक अपराधी को शरण नहीं दिया,वरना कल को पुलिस आकर हमें भी परेशान करती।
— आरती राय