लघुकथा

लघुकथा – हिंदी दिवस

“तुम्हें कितनी बार कहा है कि घर पर कोई गेस्ट आते हैं  तो तुम इंग्लिश में ही बोला करो पर तुम हिंदी में ही शुरू हो जाते हो।” मम्मी पिंटू को डांट रहीं थीं।
      पिंटू ने रुआंसे स्वर से कहा,”मम्मी , दादा जी आज कह रहे थे  कि अपने देश,अपनी मातृभूमि  और अपनी भाषा का  आदर और सम्मान करना चाहिए।  मम्मी हिंदी तो हमारी मातृ भाषा है न? हिंदी टीचर कहती हैं कि हमें अपनी मातृ भाषा  में ही बातें करनी चाहिए ।फिर मम्मी आपको भी तो इंग्लिश नहीं आती।”
         मम्मी ने झेंपते हुए कहा,”मुझे आये या न आये पर तुझे आनी चाहिए । वो इसलिए कि ताकि मेरी सहेलियों और जान-पहचान वालों में मेरा रुतबा बढ़ सके। मैं गर्व से कह सकूँ कि मेरा बेटा बड़े अंग्रेजी स्कूल में पढ़ता है और अंग्रेजी अच्छी तरह बोल लेता  है। तुम जानते हो बेटा, आजकल अंग्रेजी बोलने  वालों को हमारे देश के लोग बड़े ही सम्मानजनक दृष्टि से देखते हैं।”
      यह सुनकर दादा जी ने कहा, पर बहु आज तो हिंदी दिवस है।आज तो इसे हिंदी बोलने दो?”
      दादा जी के बातों का जवाब न देते हुए मम्मी ने पिंटू से कहा, ” तुम दादा जी की बातों पर ध्यान मत दो । वे तो पुराने विचार के हैं। सुनो अब कोई भी दिवस हो तुम आज से अंग्रेजी ही बोलना।”
        यह सुनकर पिंटू कभी दादा जी को तो कभी अपनी  मम्मी को देखने लगा।
डॉ. शैल चंद्रा

*डॉ. शैल चन्द्रा

सम्प्रति प्राचार्य, शासकीय उच्च माध्यमिक शाला, टांगापानी, तहसील-नगरी, छत्तीसगढ़ रावण भाठा, नगरी जिला- धमतरी छत्तीसगढ़ मो नम्बर-9977834645 email- [email protected]