फिर सदाबहार काव्यालय- 39
हिंदी पखवाड़े पर विशेष- 2
समास (कविता)
दो या दो से अधिक शब्दों का,
मेल समास कहलाता है,
इससे बना नया शब्द ही,
‘समस्त पद’ कहलाता है.
अव्ययी भाव, कर्मधारय, तत्पुरुष,
द्वंद्व, द्विगु और बहुब्रीहि,
भेद समास के छः होते हैं,
व्याकरण की है यह रीढ़.
पहला पद प्रधान हो अथवा,
पद पहला अव्यय होता,
कभी शब्द पूरा अव्यय हो,
अव्ययी भाव समास होता.
पद प्रधान हो दूजा जिसमें,
हो विभक्ति चिह्नों का लोप,
तत्पुरुष समास कहलाता,
धनहीन में ‘से’ का लोप.
पहले विशेषण फिर विशेष्य हो,
या उपमेय हो फिर उपमान,
कर्मधारय समास कहलाता,
कमलचरण हैं कमल समान.
पहला पद हो संख्यावाचक,
शब्द समूह का बोध कराए,
त्रिफला समूह तीन शब्दों का,
वह द्विगु समास कहलाए.
दोनों पद प्रधान हों जिसमें,
द्वंद्व समास है वह कहलाता,
‘और,’ ‘तथा,’ ‘या’, ‘अथवा,’ ‘एवं’,
विग्रह करने पर लग जाता.
दो या दो से अधिक वर्णों का,
मेल संधि कहलाता है,
दो या दो से अधिक शब्दों का,
मेल समास कहलाता है.
कोई पद प्रधान न हो जिसमें,
पद वाचक हो अन्य शब्द का,
बहुब्रीहि समास कहलाता,
पतझड़, विषधर, कनकटा.
लीला तिवानी
दो या दो से अधिक शब्दों का मेल समास कहलाता है. पहले शब्द को पूर्व पद और दूसरे शब्द को उत्तर पद कहते हैं. हिंदी शिक्षण में छ्ठी कक्षा से समास की पढ़ाई शुरु हो जाती है. समास-शिक्षण में सूत्र रूप में यह कविता बहुत उपयोगी सिद्ध हुई है. इस तरीके से पढ़ाने से छात्र शिक्षण में रुचि भी लेने लगते हैं.
मेरा संक्षिप्त परिचय
मुझे बचपन से ही लेखन का शौक है. मैं राजकीय विद्यालय, दिल्ली से रिटायर्ड वरिष्ठ हिंदी अध्यापिका हूं. कविता, कहानी, लघुकथा, उपन्यास आदि लिखती रहती हूं. आजकल ब्लॉगिंग के काम में व्यस्त हूं.
मैं हिंदी-सिंधी-पंजाबी में गीत-कविता-भजन भी लिखती हूं. मेरी सिंधी कविता की एक पुस्तक भारत सरकार द्वारा और दूसरी दिल्ली राज्य सरकार द्वारा प्रकाशित हो चुकी हैं. कविता की एक पुस्तक ”अहसास जिंदा है” तथा भजनों की अनेक पुस्तकें और ई.पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है. इसके अतिरिक्त अन्य साहित्यिक मंचों से भी जुड़ी हुई हूं. एक शोधपत्र दिल्ली सरकार द्वारा और एक भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत हो चुके हैं.
मेरे ब्लॉग की वेबसाइट है-
https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/rasleela/
हमने फिर सदाबहार काव्यालय- 37 में लिखा था- ”आज हमारे एक पाठक, जिन्होंने कभी कामेंट नहीं लिखा है, ने मेल से फिर सदाबहार काव्यालय के लिए कुछ विषय लिख भेजे हैं, जो हिंदी से संबंधित हैं. हिंदी पखवाड़े के इस अवसर पर आप फिर सदाबहार काव्यालय के इस अंक में आज दूसरा विषय है- काव्यमय समास. इसे आप सूत्रों में समास और उसके भेदों के साथ संधि की परिभाषा से भी परिचित हो सकते हैं. सूत्र में किसी भी विषय को याद करना और याद रखना सरल होता है.