कविता

हिन्दी दिवस

हिन्दी  हमारी जान है,
हिंदी हमारी शान है।
हिंदी हमारी बोली है,
फिर भी हिंदी उदास है।
हिंदी हमारी चेतना है,
हिंदी हमारी संस्कृति है।
हिंदी हमारी वेदना है,
फिर भी हिंदी उदास है।
हिंदी हमारी आत्मा है,
हिंदी हमारी संवेदना है,
हिंदी हमारी लाज है,
फिर भी हिंदी उदास है।
हिंदी हमारी अस्मिता है,
हिंदी हमारी मान है,
हिंदी के बिना सब कुछ बेकार है,
फिर भी हिंदी उदास है।
हिंदी हमारी वाणी का अभिमान है,
हिंदी मां सरस्वती का वरदान है,
हिंदी हमारी साधना है,
फिर भी हिंदी उदास है।।
गरिमा

गरिमा लखनवी

दयानंद कन्या इंटर कालेज महानगर लखनऊ में कंप्यूटर शिक्षक शौक कवितायेँ और लेख लिखना मोबाइल नो. 9889989384