मातृ भाषा
मातृ भाषा
चेतना
चिन्तन
प्रयोजन हूँ मैं
तुम्हारी मातृ भाषा हूँ मैं |
आधार
स्तंभ
परिवेश हूँ मैं
तुम्हारी मातृ भाषा हूँ मैं |
शब्दों का अनंत सागर
समाहित है मुझमें |
असीम संभावनाएँ लिपटी हैं मुझमे |
परिपूर्ण हूँ मैं अनंत विचारों से |
ओजस्वी ,ऊर्जावान हूँ मै
किंतु भयभीत हूँ ,
आंग्ल भाषा से सज्जित अपनी ही संतानों से |
कहीं खो न जाऊँ
भाषाओं की विराट आकाश गंगा में |
पुकारती हूँ तुम्हे ,
करो चिन्तन-
मनन करो –
मेरा उपयोग करो |
मैं तुम्हारी भाषा ,
तुम्हारी पहली आवाज़
हूँ |
तुम्हारे जीवन का श्रंगार हूँ |
हाँ ! मैं तुम्हारी मातृ भाषा हूँ |
मंजूषा श्रीवास्तव