नया नया कुछ काम करें
क्षण भंगुर ये जीवन अपना, नया नया कुछ काम करें।
प्रेम-प्रीति के सम्बन्धों को, आज हृदय के नाम करें ।।
भीतर का ये अफसाना भी, बाहर जरा उजागर हो ।
मुक्त कंठ से कहें सभी ये, तुम तो दिल के सागर हो ।।
प्यास दबाये बैठे कब से, साँझ जाम के नाम करें ।
क्षण-भंगुर ये जीवन – – – – –
सदा हृदय में विश्वासों के, दीप प्रज्वलित रखना हैं ।
पल-पल हमको संघर्षों के,अँधियारों से लड़ना हैं ।।
अंतस्थल में प्रेम-प्रीति का, निर्मित नूतन धाम करे ।
प्रेम-प्रीति का मन मन्दिर में,सृजित नया ही धाम करें ।
क्षण-भंगुर ये जीवन – – – – – –
नया नया ये सुंदर सपना, अपना अब परवान चढ़े ।
करने को साकार इसे अब,कुछ अपना श्रमदान बढ़े ।।
गीत उकेरें प्रेम-भाव के, चल कर अक्षरधाम करें ।
क्षण-भंगुर ये जीवन अपना, नया नया कुछ काम करें ।।
— लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला