कविता
बरसती बरसातों में
बह जाऊंगा मैं भी,
तेरी याद आती
यादों के संग।
टूटकर बिखर जाऊंगा,
किसी गुमनाम पत्थर की तरह,
और बह जाऊँगा
किसी चीखती नदी में
ले तेरी यादों को संग।
लोग ढूंढेंगे मुझे
इन बरसती बरसातों में,
हवा में उड़ते
किसी अजनबी अश्क़ की तरह।
पानी में बहते,
किसी गुमनाम पत्ते की तरह।
मगर मैं खो जाऊंगा,
तेरी यादों को ले संग
किसी गुमनाम तूफान की तरह।
— राजीव डोगरा