गीत/नवगीत

गीत

कितना मुश्किल है पलकों पे अश्कों का  बोझ उठाना

हर घड़ी हर पल हर लम्हा बस अपनी ख्वाहिशों को जलाना

भीगी पलकें जलता हुआ दिल मिली है मुझको दर्द की महफ़िल

मंझधार ने मुझे बचाया तब जब डुबा रहा था मुझे मेरा साहिल

क्यों मोहब्बत की राह पर चले क्यों किया दिल को अपने दीवाना

कितना मुश्किल है पलकों पे अश्कों का बोझ उठाना

दिल में चाँदनी की हसरत थी मेरे पलकों पे हुआ अमावस का आना

घुंघरु की तरह बजते थे कभी अब खामोशी है अपना ठिकाना

नींदे पराई नजर आने लगी हैं जबसे ख्वाब मेरा हुआ बेगाना

कितना मुश्किल है पलकों पे अश्कों का बोझ उठाना

दिल संगीत है दिल शहनाई है बड़ी कातिल ये मेरी तन्हाई है

कत्ल करके ये मेरा मुझसे पूछे आज मेरे कातिल का ठिकाना

टूटती सांसें बुझता उम्मीद का दिया जो दिया तुमने स्वीकार मैंने किया

अब और क्या कहूँ मैं तुमसे मुझे आता नहीं औरों के जैसे बातें बनाना

कितना मुश्किल है पलकों पे अश्कों का बोझ उठाना

आरती त्रिपाठी 

आरती त्रिपाठी

जिला सीधी मध्यप्रदेश