गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल

 

बड़ी शिल्पकार सी लगती हैं,इवारतों  की बयानियाँ

मुझे इश्तहार सी लगती है, ये मुहब्बतों की कहनियां।

पढ़े हैं कईं किस्से कितनी ही  बहुत सारी कहानियाँ
कुछ दोस्तों और कुछ बुजुर्गों की अदब पाई जुबानियां।

वो पीर-पैगम्बर की मुर्शिद चेला सी जानी फरमानियाँ

सज़दा करें वजूद महबूब का , ये इश्क पाई दिवानियाँ|

जो सदा कहों वो अमल करो जो सुना नहीं मिले करो

बीते हुये वक्त की सुनी अनुभवी रिवायतों की नादानियां।
बनता तभी इतिहास जान दे वतन सुरक्षा हेतू जवानियां

ये तब मुमकिन है जब रियाया को ख़ुदा की मेहरबानियाँ।

स्वरचित -रेखा मोहन २४ /९/१९

 

 

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]