ग़ज़ल
बाढ़ में सब बहा देखते देखते।
क्या से क्या हो गया देखते देखते।
सुब्ह निकला जला राह अपनी चला,
शाम तक जा ढला देखते देखते।
इश्क़ जबसे हुआ तनबदन खिलगया,
हो गयी चंचला देखते देखते।
आमने सामने कार से जा लड़ा,
हों गया हादसा देखते देखते।
देख उनकी तरफ शेर जो भी हुआ,
खूब सूरत हुआ देखते देखते।
हौसला बढ़ गया जबसे आये सनम,
मिल रही है दवा देखते देखते।
— हमीद कानपुरी