भजन/भावगीत

फिर सदाबहार काव्यालय- 42

शारदीय नवरात्र के अवसर पर विशेष

लेके नौ दिन की बहार मैय्या राणी आई है (मैय्या राणी भजन)

 

(तर्ज़- बाजे-बाजे रे बधाई बहिना तेरे अंगना——)

लेके नौ दिन की बहार मैय्या राणी आई है
मैय्या राणी आई है, अम्बे राणी आई है, महाराणी आई है-

पहले दिन मां शैलपुत्री जी आईं दरश दिखाने
दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी अपना रूप लखाने
मैय्या राणी आई है, अम्बे राणी आई है, महाराणी आई है
लेके नौ दिन की बहार मैय्या राणी आई है-

तीसरे दिन मां चन्द्रघंटा ने मन में घंटे बजाए
चौथे दिन कुष्मांडा मां ने अपने दरश कराए
मैय्या राणी आई है, अम्बे राणी आई है, महाराणी आई है
लेके नौ दिन की बहार मैय्या राणी आई है-

पांचवें दिन स्कंदमात की आओ पूजा कर लें
छठवें दिन मां कात्यायनी की आशीष से मन भर लें
मैय्या राणी आई है, अम्बे राणी आई है, महाराणी आई है
लेके नौ दिन की बहार मैय्या राणी आई है-

सातवें दिन मां कालरात्रि का पूजन सब करते हैं
आठवें दिन मां महागौरी की पूजा हम करते हैं
मैय्या राणी आई है, अम्बे राणी आई है, महाराणी आई है
लेके नौ दिन की बहार मैय्या राणी आई है-

अष्टमी के दिन कंजक रूप में दुर्गा मैय्या आतीं
नौमी के दिन सिद्धिदात्री सिद्धि सिद्धि से घर भर जातीं
मैय्या राणी आई है, अम्बे राणी आई है, महाराणी आई है
मैय्या राणी आई है, अम्बे राणी आई है, महाराणी आई है
लेके नौ दिन की बहार मैय्या राणी आई है-
लेके खुशियों की बहार मैय्या राणी आई है-
लेके आनंद की बहार मैय्या राणी आई है-
लेके रौनक की बहार मैय्या राणी आई है-

लीला तिवानी

 

मेरा संक्षिप्त परिचय
मुझे बचपन से ही लेखन का शौक है. मैं राजकीय विद्यालय, दिल्ली से रिटायर्ड वरिष्ठ हिंदी अध्यापिका हूं. कविता, कहानी, लघुकथा, उपन्यास आदि लिखती रहती हूं. आजकल ब्लॉगिंग के काम में व्यस्त हूं, साथ ही पुस्तकें लिखने का काम भी जारी है.

मैं हिंदी-सिंधी-पंजाबी में गीत-कविता-भजन भी लिखती हूं. मेरी सिंधी कविता की दो पुस्तकें, एक पुस्तक भारत सरकार द्वारा और दूसरी दिल्ली राज्य सरकार द्वारा प्रकाशित हो चुकी हैं. कविता की एक पुस्तक ”अहसास जिंदा है” तथा भजनों की अनेक पुस्तकें और ई.पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है. इसके अतिरिक्त अन्य साहित्यिक मंचों से भी जुड़ी हुई हूं. मेरे दो शोधपत्र, एक शोधपत्र दिल्ली सरकार द्वारा और एक भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत हो चुके हैं.

मेरे ब्लॉग की वेबसाइट है-
https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/rasleela/

 

मैय्या के सम्पूर्ण कीर्तन के लिए इस ब्लॉग को भी पढ़ें-
मैय्या भजनमाला

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “फिर सदाबहार काव्यालय- 42

  • लीला तिवानी

    ऐसी दया करो महाराणी तेरा नाम न बिसरे मन से
    तेरा नाम न बिसरे मन से,तेरा नाम न बिसरे मन से-ऐसी दया————-

    1.हम तो मैय्या द्वार तिहारे आए बनके सवाली
    हमने सुना था दयावान है मैय्या भोली-भाली
    पूजा की हम रीत न जानें याद करें तुझे मन से-ऐसी दया————-

    2.हम तो मैय्या द्वार तिहारे भेंट श्रद्धा की लाए
    हमने सुना था दानी मैय्या भाव से खुश हो जाए
    हमको भी कुछ शक्ति दे-दे पूजें हम तन-मन से-ऐसी दया————-

    3.हम तो मैय्या द्वार तिहारे प्रेम का दीपक लाए
    तू चाहे तो भक्ति की बाती जगमग जोत जगाए
    मांगें हम जीवन सज जाए भक्ति के शुभ धन से-ऐसी दया————-

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