गांधी जयंती विशेष
महात्मा गांधी सत्य और अहिंसा के पुजारी माने जाते है जिन्होंने सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ा कर हमें गुलामी जैसी बेड़ियों को तोड़कर बाहर निकलना सिखाया है। गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 ई में गुजरात के पोरबंदर में हुआ था और आज हम 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के रूप में मनाते हैं। गांधी जयंती का मतलब सिर्फ गांधी जी की फोटो पर फूलों के हार चढ़ाना नहीं है ना ही उन पर बड़े-बड़े भाषण देना और न ही कविताएं बोलना है गांधी जयंती का महत्व तब ही सार्थक माना जा सकता है।जब हम गांधी जी की शिक्षाओं को विचारों को अपने जीवन में अपनाएं। गांधी जी कहते थे, “अगर आप दुनिया को सुधारना चाहते हो तो आज से ही खुद को सुधारना शुरू कर दे’
गांधी जी के इन विचारों का यही अर्थ है कि पहले हमें खुद को सुधारना होगा,खुद में एक बदलाव लेकर आना होगा तो ही हम समाज को सुधार सकते हैं,समाज को बदल सकते है क्योंकि जो इंसान खुद को सुधार सकता है वही समाज को सुधार सकता है समाज में बदलाव ला सकता है। गांधी जी कहते थे, “आदमी अक्सर वो बन जाता है जो वो होने में यकीन करता है. अगर मैं खुद से यह कहता रहूँ कि मैं फ़लां चीज नहीं कर सकता, तो यह संभव है कि मैं शायद सचमुच वो करने में असमर्थ हो जाऊं. इसके विपरीत, अगर मैं यह यकीन करूँ कि मैं ये कर सकता हूँ, तो मैं निश्चित रूप से उसे करने की क्षमता पा लूँगा, भले ही शुरू में मेरे पास वो क्षमता ना रही हो।”
गांधीजी धर्म को व्यक्तित्व के विकास के लिए आवश्यक समझते थे परंतु धार्मिक आडंबर और कट्टरता से दूर रहते थे। परंतु आज हम उनकी शिक्षाओं पर ना चल कर धर्म के नाम पर आपस में लड़ मर रहे हैं धर्म के नाम पर नेता वोट मांग रहे हैं और हम वोट दे रहें हैं। गांधी जी कहते थे, ” मैं उसे धार्मिक कहता हूँ जो दूसरों का दर्द समझता है।”
गांधीजी को सत्य व अहिंसा का पुजारी कहा जाता है उन्होंने केवल भारत के लोगों को ही नहीं विश्व के समस्त लोगों को सत्य व अहिंसा का पालन करने का संदेश दिया हैं। उन्होंने भारत देश को जो सदियों से गुलाम था कभी मुगलों का कभी अंग्रेजों का उसको सत्य व अहिंसा के द्वारा ही स्वतंत्र करवाया। वह कहते थे, “मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है. सत्य मेरा भगवान है. अहिंसा उसे पाने का साधन।”
हमें भी गांधीजी के सत्य और अहिंसा को अपनाना होगा तभी हम जीवन में आगे बढ़ सकते हैं क्योंकि जो इंसान सत्य नहीं बोल सकता वह सत्य के लिए जी भी नहीं सकता। गांधी जी ने अहिंसा को मानव तक ही सीमित नहीं रखा उन्होंने जानवरों के प्रति होने वाली अहिंसा का भी विरोध किया। गांधी जी कहते थे, “एक देश की महानता और नैतिक प्रगति को इस बात से आँका जा सकता है कि वहां जानवरों से कैसे व्यवहार किया जाता है।”
इसके अलावा गांधी जी ने बहुत सारी शिक्षाएं दी है जैसे:-समय का महत्व,समानता में विश्वास,पाप से घृणा करो,पापी से प्रेम करो,अपनी कमजोरियों की स्वीकारोक्ति,औरों की सेवा, प्रेम की शक्ति,अदम्य इच्छा शक्ति,औरत के प्रति अन्याय का विरोध,जीवन में कर्म का महत्व, जीवो की प्रति दयालुता इत्यादि। गांधी जी कहते थे, “आप मुझे जंजीरों में जकड़ सकते हैं, यातना दे सकते हैं, यहाँ तक की आप इस शरीर को नष्ट कर सकते हैं, लेकिन आप कभी मेरे विचारों को कैद नहीं कर सकते”
अंत में अपनी कलम को विराम देते हुए यही कहूंगा कि वास्तव में हमें गांधी जयंती मनानी है तो इसका सही ढंग यही है कि हम गांधी जी की शिक्षाओं और विचारों को अपने जीवन में अपनाएं जिससे हम अपने साथ-साथ समाज में भी एक नया बदलाव लेकर सकें।
— राजीव डोगरा
गाँधी के बारे में जो प्रचारित किया गया है जब झूठ पर आधारित है। उसका पूरा जीवन पाखंड से भरा हुआ था। वह बातें बड़ी बड़ी करता था लेकिन मन से बहुत क्षुद्र था। हमेशा हिन्दुओं को अहिंसा का उपदेश देकर कायर बनाता था, पर मुसलमानों की हिंसा का पूरी बेशर्मी से समर्थन करता था। अब उसको इतिहास के कूड़ेदान में पड़े रहने देना चाहिए।
उसने नेहरू जैसे नालायक और चरित्रहीन को देश के ऊपर थोपा जबकि सभी लोग सरदार पटेल को चाहते थे। यह उसकी सबसे बड़ी कुसेवा रही।