तिरंगे में लिपटना आसान नहीं है
हर किसी के बस का यह काम नहीं है।
कुछ कदम चलकर ही हम लड़खड़ा गए
वो अपने कदमों के निशां बना गए।
यह जन्म मानव का नहीं मिलता बार बार
हम व्यर्थ गंवा गए वो अमर बना गए।
बहुत जी लिए अपने लिए
अब वतन के लिए मर दिखाओ।
कुछ कर गुजरना है देश की खातिर
तो आसमां को जमीं तक लाकर दिखाओ।
ख्वाहिश रखते हो तिरंगे की अगर
तो उसके रंगों से हाथ मिलाकर दिखाओ।
लेकर अमन शांति का रंग तिरंगा बोलता है
नीर क्षीर विवेकी ज्ञानी डोलता है।
दुनिया पर राज करता लहराता तिरंगा
चांद पर भी चहकता महकता तिरंगा।
जाग उठी शंखनाद सी तदबीर भारत की
स्वर्ण अक्षरों में लिख रहा तकदीर भारत की।
— निशा नंदिनी