गीत/नवगीत

दो दिन तक

मानव का अभिमान रहेगा दो दिन तक
गौरव गरिमा मान रहेगा दो दिन तक
वैभव का उन्माद, धरा रह जाता है
प्रियतम से सम्वाद, धरा रह जाता  है
सारा वाद विवाद धरा रह जाता है
सुयश और परिवाद धरा रह जाता है
तर्क अौर व्याख्यान रहेगा दो दिन तक
मानव का अभिमान धरा रह जाता है

रंग रंगीला साज धरा रह जायेगा

सारा ,राज समाज ,धरा रह जायगा
सिंहासन और ताज ,धरा रह जायेगा
गर्वीला अन्दाज,धरा रह जायेगा
उड़ता नभ में यान रहेगा, दो दिन तक
मानव का अभि मान रहेगा दो दिन तक

— डॉ विमलेश अवस्थी

डॉ. विमलेश अवस्थी

M- 6398818723 जनपद कासगंज, उत्तर प्रदेश