कविता

एक सूरत

आँखो में बसी एक सूरत
हर पल देखने की तमन्ना करे
थरथराटे होठों पर
बस तेरा ही नाम धरे।
वो महकती खूश्बू
वो चहकती मुस्कुराहट
आज भी नजरो के सामने खड़े
जब कभी यादो के पन्ने उलटानी पड़े।
वो अल्हड़पन तेरा
वो बात-बात पर रूठना
बहुत याद आता है
तेरी जिद जो तू धरे।
वो सादगी और गोरे बदन
वो विंदास अंदाज और झुंझलापन
बचकानी हरकते तेरी
पता नही अब तू करे न करे।
गुजर जाए वक्त
जब ख्याल तेरा करूँ
एहसान मानो ना मानो मेरा
लेकिन आएगा जरूर सवेरा।
सुबह-शाम आती-जाती
और खूब सताती
वर्षो की अगन रोज-तडपाती
यकी दिला ख्यालो में सताती।
— आशुतोष

आशुतोष झा

पटना बिहार M- 9852842667 (wtsap)