गीत/नवगीत

नमन

आओ माँ के श्रीचरणों में, अपना शीश झुकाएं।
और पिता की पदरज का हम, नित नित तिलक लगाएं।।
हम गुरुवर के कृपाभाव का, अन्तर्मन में ध्यान करें।
और प्रभू के उपकारों पर, अपना नेह जताएं।।

अनल पवन या अम्बर धरती, सूरज चाँद सितारे।
तरु तरुवर या सागर पर्वत, सकल चराचर सारे।।
मनभावों से मनवाणी से, इनके भी गुण गाएं।
आओ माँ के श्रीचरणों में, अपना शीश झुकाएं।।

अपनी साँसें अपनी धड़कन, जितनी हमको प्यारी है।
परि परिजन अरि मित्र सभी के, हम उतने आभारी हैं।।
स्वीकार करें प्रिय नमन भोर का, मनमंदिर में आएं।
आओ माँ के श्रीचरणों में, अपना शीश झुकाएं।।

— ओम अग्रवाल (बबुआ)

ओम अग्रवाल (बबुआ)

मुंबई