कविता

मैं  इन्तज़ार  करूँगा

तुम्हारा  आना  शाश्वत  प्रिय
तुम्हारा  समय  निश्चित है
दिल  की  धड़कन  घड़ी  की  सूईयों  की  तरह
थँम  जाएगी
रूप, रंग,  गंध  पाँच  तत्व  में  समेट कर
चेतना  अचेत हो  कर
आगोश  में   समा   जाएगी तुम्हारे  कोमल से
अनंत  सुखमय  वेला  में
मैं  डरता  तुम  आ  न  जाओ
मेरे  छुपे  हुए  अंह  की  चेतना  में
तुम  प्यार  से  गुदगुदा  न दो
मेरे  स्नेह  निर्झर  को
अपनें  अंचल में
छुपा लोगी  जब  मन  भंवरा  सा मोह माया में
उदेलित हो  कर रम रहा हो संसार की रचना में
तुम्हारा प्यार वफ़ा है
तुम्हारे  बंधन  में  बंध  कर
मुक्त हो जाऊँगा इस नश्वर संसार से
तुम ले  जाओगी
पलकों की छाँव में पिया के घर
जिस का मन , मन ही चिंतन करता है
प्रिय ले जाना जब तुम चाहो
बिना रोग वियोग वेदना के
मैं पलकें विछाये
तब तक इन्तजार करूँगा।
—  शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995