कर्म पथ पर
कर्म पथ पर हमेशा मैं चलती रहूंगी |
धर्म कर धर्म के संग बढ़ती रहूंगी |
चलो माना कि पथ है कठिन सत्य का ,
तो भी चलकर मैं कर चुकता करती रहूंगी |
जिंदगी में अंधेरा न हो फिर कहीं ,
वर्तिका बन मैं दीपक की जलती रहूंगी |
भावना तूलिका को भिगो प्रेम में,
रंग जीवन में मैं अपने भरती रहूंगी |
करती है किरण सुन रवि प्रण मेरा ,
जीऊँगी तेरे संग, संग मरती रहूंगी |