भारत चीन वार्ता बनाम परमाणु युद्ध की धमकी देता देश
युद्ध पिपासु देश अन्तत : नष्ट हो जाते हैं और शान्ति और साहचर्य से रहने वाले देश सांस्कृतिक, साहित्यिक और लालित्य कलाओं में वे दुनिया में अपने को सर्वोच्च स्थान पर पहुंचा देते हैं। प्राचीन काल के यूनानी राज्यों एथेंस और स्पार्टा के समय से ही यह बात सर्वमान्यरूप से सत्य सिद्ध हो चुकी है। आज इसके ज्वलंत उदाहरण एक ही उपमहाद्वीप के दो टुकड़ों बांग्लादेश और पाकिस्तान हैं। अतः युद्धोन्माद और अपने शक्ति की अपराजेयता पर ‘दंभी ‘केवल ‘मूर्ख ‘बनता है।आज के वैश्विक परिदृश्य में अमेरिका जैसा ‘स्वयंभू महाबली देश’ भी उत्तरकोरिया जैसे एक छोटे से पिद्दी देश के एक ‘घुड़की ‘ के आगे बेबस होकर अपनी आधुनिकतम् इंटरकांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों, परमाणु बमों, हाईड्रोजन बमों और अत्याधुनिक लेजर बीम से युक्त विमानों से लैस युद्धपोतों सहित वापस अपने देश को लौट आता है, क्योंकि इस बात को वह खूब ठीक से जानता है कि एंटीमिसाइलों की छतरी के नीचे रहने के बावजूद भी अगर उत्तर कोरिया का एक भी परमाणु या हाईड्रोजन बम भूले-भटके वाशिंगटन पर गिर गया तो वह उसके द्वारा हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बमों के कम से कम हजारों गुना ज्यादे नुकसानदेह साबित हो सकता है, उससे अब लाखों में नहीं बल्कि करोड़ों की संख्या में बेगुनाह लोग तुरंत काल के ग्रास बन जाएंगे उसके बाद तो इसके कई गुने लोग तिल-तिलकर कई दशकों तक मरने को अभिशापित होंगे, उनकी संख्या अलग होंगी। इसलिए मिया इमरान नवाजी को परमाणु बम युद्ध की धमकी देने वाली ‘बचकानी हरकत ‘ से अब बाज आनी ही चाहिए।
इसके अतिरिक्त भारत और चीन को भी (विशेषकर चीन को) विगत् इतिहास में भारत के प्रति की गई विश्वासघात की कड़वी स्मृतियों को भविष्य में अपने व्यवहार में कुछ ऐसा कदम नहीं उठाया जाना चाहिए ताकि दशकों पुरानी भारत की कड़वी स्मृतियों के घाव पुनः हरे हो जाएं अतः चीन को उन अविश्वास व विश्वासघात जैसे किए कृत्यों को मामल्लापुरम के कूड़ेदान में सदा के लिए दफ़न कर देनी चाहिए और भविष्य में इन दोनों देशों में से किसी को भी ‘ऐसा कुछ ‘नहीं करना चाहिए ताकि एक-दूसरे से आपसी संबंध फिर से असहज और अविश्वास भरे बन जाएं। अब अति विध्वंसक परमाणविक हथियारों ने वैश्विक परिदृश्य को ऐसा बना दिया है कि अब ‘युद्ध की बात’ एक सिरफिरा या मानसिक विक्षिप्त व्यक्ति ही कर सकता है, इसलिए आज ‘सभी की’ भलाई इसी में है कि सभी देश मिल-जुलकर, शांति और सौहार्द्र बनाकर रहें।
— निर्मल कुमार शर्मा