पॉलीथिन : लघुकथा
“कल किसने देखा? यूँ ही कल की फिक्र में यह ना खाओ, पानी ना बहाओ और तो और… अब बेवकूफों की तरह थैला ले कर बाजार जाओ!अरे पॉलीथिन बैग के कितने फायदे हैं, ज़रा गंदा हुआ, फेंक दो !” बड़बड़ाते हुए अनीश ने घर का ताला खोला !
पर यह क्या? फैंका हुआ कोई पॉलीथिन नाली चॉक कर चुका था और चारों तरफ जमा पानी, उसे खुद अपने नजरिए पर पानी-पानी करने के लिए काफी था !
अंजु गुप्ता