इतनी शक्ति हमें देना दाता
मनाएं दिवाली हम प्रेम से।
देना सबको ही तुम ज्ञानधन
सोए न कोई भूखे पेट से।
भूलकर जातिवर्ग भेदभाव
प्रकाश फैलाये धरती पर।
है नहीं कोई अपना पराया
सभी में एक देव ही समाया।
दीपक की पहचान है प्रकाश
है मानव की पहचान सुकर्म।
दोनों ही जल कर देते उजाला
है नहीं कोई उनका जाति धर्म।
इस बरस कुछ ऐसा हो जाए
लक्ष्मी दीनों पर धन बरसाये।
इस दिवाली न रहे कोई भूखा
संगठित हो दीवाली मनाएँ।
— निशा नंदिनी