नशा
आज ननकू बड़ी उहापोह में है । बस लगातार यही सोच रहा है और उस घड़ी को कोस रहा है …जाने क्यूँ मैं इस केस का गवाह बन गया । पर वह आखिर करता क्या उस समय स्थिति ही ऐसी बन गयी थी कि लगा था बस अब ज़िन्दगी बदल जाएगी । लेकिन उसे कहाँ मालूम था कि एक दिन मेरे अंदर का इंसान जाग उठेगा और कचोटेगा भी । गवाही से पलटने का वादा तो कर दिया लेकिन जितना डर पलटने में लग रहा था उससे ज्यादा गवाही देने में ।
क्यों न हो छह-छह लोगों की ज़िन्दगी का सवाल है सिर्फ छह ही क्यों उनसे जुडी और भी जिंदगियां तो हैं ? समझ नहीं आता कि ये बड़े लोग अपनी दुश्मनी अदा करने के लिए गरीबों को मोहरा क्यों बनाते हैं । खुद तो जीत का जश्न मनाते मना रहे हैं और पाप हमारे सर लाद दिया । हमने तो कुछ देखा भी नहीं और हमें केस का चश्मदीद गवाह बना दिया पता नहीं ! ये पुलिस वाले क्या जांच करते हैं और कैसे किसी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करते हैं गरीबों के साथ कुछ भी हो जाये तो इनकी आँखें बंद रहती हैं लेकिन पैसे और रसूख के बल पर इनसे चाहे जो करा लो सब इतनी जल्दी हुआ,कौन मारा?कौन मरा ? और कौन पकड़ा गया?
ननकू के मन में ये सारी बातें दाल की तरह खौल रहीं थी । क्या करें कुछ समझ में नहीं आता । गाँव के कुछ लोग कहते हैं कि अगर हम गवाही से पीछे हटेंगे तो हमें जेल हो जाएगी,लेकिन अगर हम गवाही दे देंगे तो छह निर्दोषों की जिंदगी बर्बाद हो जाएगी । हे भगवान ! अब तू ही रास्ता दिखा क्या करूँ मैं ? किस रास्ते जाऊं ?
ये सब सोचते -सोचते ननकू को दो साल पहले का वो मंज़र याद आने लगा जब मुरलीधर के बेटे लालू की लाश शौकत अली के खेत में मिली थी । कोई कहता था कि उसने ज़हर खाया है क्योंकि दीवाली के पहले जुए में पैसा हारने के कारण उसके बाप ने उसे मारा पीटा था और घर से निकाल दिया था । कुछ लोग कहते थे कि किसी ने उसकी हत्या की है । ये सब बातें उठती ही रहीं कि पुलिस ने गाँव के जाने-माने आदमी और हाल ही में हुए प्रधान पद के उम्मीदवार लक्ष्मीनारायण,उनके बड़े भाई मास्टर जयराम तथा उनके ही समर्थक चार अन्य लोगों शौकत अली,लालजी मौर्या,मनोज और अली बेग के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया । चश्मदीद गवाह के रूप में ननकू और छोटेराम का नाम रखा गया लूस समय तो ननकू को न तो चश्मदीद गवाह का मतलब पता था और न ही गवाही देने के बारे में । वो तो अब जाकर उसे पता चला है कि वह छह-छह लोगों की जिंदगी का नियंता बन चुका है ।
हालांकि ननकू ने तो उस समय भी अपना नाम डालने का विरोध किया था लेकिन लक्ष्मीनारायण के धुर विरोधी और चचेरे भाई पंडित रामहरख और उनके पक्के साथी मुन्नू पांडे ने उसे यह कहकर डरा दिया था कि अब तो तुम्हारी फोटो और अंगूठे का निशान ऊपर तक पहुँच गया है । अब अगर तुम पीछे हटे तो तुम्हे सात साल की जेल हो जाएगी । इसी डर से उसने गवाही देना स्वीकार कर लिया था ।
बच्चों के आपस में झगड़ने की आवाज सुनकर ननकू का ध्यान टूटा तो उसने देखा कि सूरज ढल चुका था । वह उठा और दारु के ठेके की तरफ चल दिया । कई दिनों से उसे मुफ्त की दारु पिलायी जा रही थी ताकि वह अपनी जबान की कैद से जेल में बंद लोगों को छुटकारा दिला दे । उसकी खातिर में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहते था उन लोगों का परिवार । आखिर क्यों न हो, केस में उसकी वैल्यू जज से कम थोड़े थी ।
रोज की तरह पिटे वक्त उसने वादा किया कि वह अदालत में झूठ नहीं बोलेगा । पीते-पाते रात के ग्यारह बज गये । ननकू झूमते हुए घर पहुंचा । बीवी उसकी राह देख रही थी, आते ही बरस पड़ी,आ गये कमाई कर के । कोई टैम तो है नहीं घर आने का । जवान बेटी घर में बैठी है पर तुम्हें गवाह बनकर नेतागिरी करनी है । घर में आग लगा दो और तुम आधी रात तक मीटिन करो……मैंने पहले ही मना किया था कि झंझट में मत फंसो लेकिन नहीं । तब तो मुन्नू पांड़े थैली गिना रहे थे न । कौन सुने ? असली मरद तो वही है जो कभी औरत का कहा न माने । अच्छा ही तो है,मजे में दिन कट रहे हैं । रोज मुफ्त की दारु मिल रही है,पियो और झूमो आराम से । बड़बड़ाते हुए उसने खाने की थाली ननकू के सामने पटकी और चली गयी ।
खाना ननकू सोचने लगा कि पता नहीं जेल में कैसा खाना मिलता होगा ? रोटी को हाथ में उठाकर ध्यान से देखा । कुछ भी हो रोटी इतनी मोटी तो नहीं होती होगी । सुना है वहां तरकारी उर दाल भी मिलती है । अच्छा है,कम से कम मेरी तरह नमक-रोटी तो नहीं खानी पड़ती होगी । क्या करना है,मैं भी जेल में रह लूँगा, खाना तो मिलेगा ही । दो जून की रोटी ढंग से मिल जाये इसीलिए तो किया सब । लेकिन मैं झूठ बोलकर किसी को फंसाऊँगा नहीं । उन्होंने की भी होगी हत्या तो मेरे सामने तो नहीं की । मैं क्यों बोलूं झूठ ? साला छोटेराम तो रोज रंग बदलता है । मुझसे कहता है की मैं भी तुम्हारी तरह सच का साथ दूंगा लेकिन रामहरख और मुन्नू पांड़े के पास बैठकर पता नहीं कौन सी घुट्टी पी लेता है कि फिर बदल जाता है । खाने की थाली सामने रखे वह यही सब सोचता रहा,सोचते-सोचते दो-चार कौर निगले और थाली सरकाकर बिछौने की तरफ बढ़ गया ।
अपने सोते हुए बीवी-बच्चों की तरफ देखकर वो सोचने लगा की अगर मैं झूठ बोलूँगा तो उसका फल मेरे बीवी-बच्चों को ही तो भुगतना पड़ेगा । कोई देखे न देखे भगवान तो देखता ही है । शायद ये मेरे पाप का ही फल है की मुझे कानों से कम सुनाई देने लगा है । वो लेटकर सोने की कोशिश करने लगा । जरा सी आँख लगी तो उसने एक सपना देखा, अजीब सा सपना….
उसने देखा कि उसकी मरी हुई माँ उसके सामने हाथ जोड़ रही है कि तुम झूठ मत बोलना नहीं तो हमारा खानदान खतम हो जायेगा । फिर उसने देखा की उसके बच्चे जोर-जोर से रो रहे हैं । वो हड़बड़ाकर उठ बैठा । पसीने से उसका पूरा शरीर लथपथ हो गया था । चारपाई के नीचे से उसने पानी का लोटा उठाया,उसका हाथ कांप रहा था । जैसे-तैसे उसने पानी पिया और लेट रहा । आखिर वो करे क्या ? कल ही उसे गवाही देने शहर जाना है । जाते हुए भी डर लग रहा और न जाने में भी । वैसे सच बोलने से भी उसे डबल फायदा होने वाला है । एक तो पाप नहीं लगेगा और दुसरे दो बीघा जमीन भी हाथ आ सकती है जैसी कल बात हुई है । लेकिन कहीं मुझे जेल हो गयी तो ? सुबह क्या कहेगा सबसे ? न जाये तो कौन सा बहाना बनायेगा ? ये सारे विचार उसके मन में घूमते रहे । सुबह उठा और खेत की तरफ चल दिया । सोचा चुपचाप यहीं बैठा रहूँगा और दोपहर बाद आऊंगा घर ।
आज की तारीख भी बीत गयी । कोर्ट ने बिना किसी आपत्ति के अगली तारीख तक सुनवाई टाल दी । चलो अब अगली तारीख तक बला टली । शाम को दारु पीते समय ननकू ने अगली तारीख पर चलने का पक्का वादा किया खूब छक के पी और दूकानदार से बोला कि आज आधी बोतल घर वाली के लिए दे दे,बहुत चिल्लाती है..
बोतल लेकर झूमते हुए वो घर की ओर चल पड़ा । आज उसकी बीवी उस पर चिल्लायी नहीं,बड़े प्यार से खाना परोसा और पास बैठकर पंखा झलती रही । उसे समझाती रही कि तुम अदालत में गंगाजली उठाकर झूठी कसम मत खाना । आखिर अपने भी तो बाल-बच्चे हैं । चाहे कोई कुछ भी कहे,ऊपरवाला सब देखता है दोनों देर रात तक बातें करते रहे । वाकई में नशा सब भुला देता है । इंसान को नशे में सिर्फ नशा ही याद रहता है। पर जब नशा उतरता है तो हकीकत सामने आती है । वही हालत आज ननकू की थी । दो साल बाद ही सही उस पर से झूठ का नशा उतरने लगा था …..