धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

विशेष सदाबहार कैलेंडर-142

सभी पाठकों को ‘दीपावली’ के पावन अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं.

1.Moon ने बंद की Lighting,
Sun ने शुरु की Shining,
मुर्गे ने दी है Warning कि हो गई है Morning,
तो हम भी बोल दें आपको Very Very Good Morning,
Good Morning & Happy दीपावली की Happy Morning.

2.दिलों में खुशियों का, घर में सुखों का वास हो,
हीरे-मोती का आपके सिर पर ताज हो,
मिटें दूरियां, सब आपके आस-पास हों,
हर दिवाली आपके लिए ख़ास हो.

3.बनाकर दिये मिट्टी के,
जरा-सी आस पाली है,
खरीद लो मेहनत मेरी,
मेरे घर भी दिवाली है.

4.ज्योर्तिमय है हर दिशा, ज्योर्तिमय आकाश
आज अमावस छुप गई, जग में हुआ उजास.

5.अंधकार सब सो गया, ज्योति रही है जाग,
ज्योति शिखाओं से जगे, सोए जग के भाग.

6.कोई न हो निराश – तो समझो दिवाली है,
पूरी हो सबकी आस – तो समझो दिवाली है,
दिल-दिल से मिलके दीप जले, उसी रोशनी से,
हर घर में हो प्रकाश – तो समझो दिवाली है.

7.सभी तूफान आपके जीवन को अस्त व्यस्त करने नहीं आते,
कुछ आपकी मंजिलों के रास्ते साफ करने भी आते हैं.

8.घर-आंगन का, मन-प्रांगण का,
हर कोना जगमगाएं,
दीप-से-दीप जलाएं,
आओ मिलकर दिवाली मनाएं

9.जिस दिन तम हट जाएगा
यह जग जगमग हो जाएगा
है कठिन, मगर होगा ज़रूर
वह दिन निश्चय ही आएगा.

10.जो चढ़ समय के अश्व पर,साधे लक्ष्य लगाम,
उसी की होती जीत है,उसी का होता नाम.

11.कुम्हार ने बनाये दीये हैं हम करें उन्हें रोशन,
सब के घर हो दीपावली, लक्ष्मी का हो आगमन.

12.वक़्त एक एहसास है,
अपनों के लिए उपहार अमूल्य है,

13.साधना व प्रार्थना से मस्तिष्क का नज़रिया बदलते ही,
आपका जीवन मंगलमय हो जाएगा.

14.कौन है जिसके पास कमी नहीं है,
आसमां के पास भी जमीं नहीं है,
कैसे कहें उसको संवेदनशील कहो,
किसी का दुख देखकर भी,
जिसकी आंखों में नमी नहीं है.

15.हमारे बुजुर्ग हमारी धरोहर हैं,
वे अनगिनत अनुभवों के सरोवर हैं,
उनका एक-एक अनुभव हमारा जीवन संवार सकता है,
इसलिए हमारे बुजुर्ग हमारी धरोहर हैं.

16.जिंदगी में इस हुनर को आजमाना चाहिये,
जंग जब अपनों से हो तो हार जाना चाहिये.
जिंदगी जीने के इस हुनर को जिसने सीख लिया,
जंग में हार कर भी उसने मैदान जीत लिया.

17.ज़िन्दगी दिल में बसती है और दिल एक मंदिर है,
मंदिर में जाने के लिए अहंकार रूपी जूते बाहर छोड़ने पड़ते हैं,
पूजा की थाली में प्रेम और ध्यान के पुष्प ले जाने पड़ते हैं,
फिर तो आप भगवान को ही जीत लेते हैं जो सृजन कर्ता हैं.

18.जिंदगी गुजरे आपकी हंसते-हंसते,
प्यार और खुशी मिले रस्ते-रस्ते,
हो मुबारक आपको नया सवेरा,
कबूल करें हमारी तरफ से सलाम-नमस्ते.

19.फव्वारे के छिद्र खुलें तो,
बह निकलती है अविरल जलधार,
मन के छिद्र खुलें तो,
होती प्रस्फुटित प्रेम की अनवरत रसधार.

20.अच्छा वक़्त पाने में ही कट जाता है वक़्त,
जब तक वक़्त का मूल्य पता चलता है,
वक़्त कम रह जाता है.

21.बना लो उसे अपना,
जो तुम्हें दिल से चाहता है,
सच मानिए,
ऐसे चाहनेवाले बड़ी मुश्किल से मिलते हैं.

22.कैसे आकाश में सूराख हो नहीं सकता,
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो.

23.आंखों में खुशी, लबों पर हंसी,
ग़म का कहीं नाम न हो,
हर सुबह लाए आपके लिए ऐसी खुशियां,
जिसकी कभी शाम न हो.

24.एक अच्छा शिक्षक मोमबत्ती की तरह होता है,
जो खुद को जलाकर दूसरों के लिए प्रकाश करता है.

25.जिसे देता ये जहां सम्मान,
जो करता है देशों का निर्माण,
जो बनाता है इंसानों को इंसान,
जिसे करते हैं ससम्मान सभी प्रणाम,
जिसकी छाया में मिलता ज्ञान,
जो कराए सही दिशा की पहचान,
वो हैं हमारे गुरु,
उनको हमारा शत-शत प्रणाम.

26.वतन की खुशबू से बढ़कर और कोई खुशबू भला क्या होगी!
अदा इसकी कीमत भला हमसे क्या होगी!

27.जीवन में दो ही चीज़ों का संभालना महत्वपूर्ण होता है,
एक तो विचार और दूसरे शब्द!
जब अकेले में हो तब अपने विचारों को संभाल लो
और जब सबके बीच हो तो अपने शब्दों को संभाल लो!

28.बहुत ही सरल है जिंदगी का व्याकरण,
जाने क्यों लोग आजकल समझते नहीं,
कोई चलना चाहता नहीं, तो किसी को चलना आता नहीं.

29.मंज़िल के पीछे सब पड़े है,
लेकिन पता कौन करे!
कि जिसको मंज़िल समझते हैं वो मंज़िल है या नहीं?

30.बिना बारिश कुछ भी नहीं उगता,
इसलिए जीवन में आने वाले तूफानों का भी स्वागत करो!

31.किसी को प्रेम देना सबसे बड़ा उपहार है,
और
किसी का प्रेम पाना सबसे बड़ा सम्मान है.

 

प्रस्तुत है पाठकों के और हमारे प्रयास से सुसज्जित विशेष सदाबहार कैलेंडर. कृपया अगले विशेष सदाबहार कैलेंडर के लिए आप अपने अनमोल वचन भेजें. जिन भाइयों-बहिनों ने इस सदाबहार कैलेंडर के लिए अपने सदाबहार सुविचार भेजे हैं, उनका हार्दिक धन्यवाद.

सभी पाठकों को ‘दीपावली’ के पावन अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं.

हर सुबह एक नया सदाबहार अनमोल वचन निकालने के लिए आप हमारी इस ऐप कम वेबसाइट की सहायता ले सकते हैं-

https://www.sadabaharcalendar.com/

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “विशेष सदाबहार कैलेंडर-142

  • लीला तिवानी

    नेह से नेह के दीप जलाएं, आओ दिवाली मनाएं,
    प्रेम-प्यार के सुमन खिलाएं, आओ दिवाली मनाएं.

    दीप जलाएं मिट्टी के हम, आओ दिवाली मनाएं,
    बिजली का उपयोग करें कम, आओ दिवाली मनाएं.

Comments are closed.