ग़ज़ल
नशीली तेरी जब नज़र साथ होगी।
मुहब्बत की तब रहगुज़र साथ होगी।
रहेगी ये मस्ती यूँ ही ज़िन्दगी भर,
क़दम दर क़दम हमसफ़र साथ होगी।
न तन्हा रहूँगा कभी ज़िन्दगी में,
तेरी याद आठो पहर साथ होगी।
मुकद्दर में साहिल जो रब ने लिखा है,
समन्दर की तो हर लहर साथ होगी।
डरेंगे नहीं फिर ज़माने से हरगिज़,
सनम की मुहब्बत अगर साथ होगी।
— हमीद कानपुरी