कविता

विलासिता की कर्मनाशा

जबरा मारे रोने भी न दे,
खोल नहीं सकते अपना मुँह,
गुनाह है  बोलना सत्य,
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं ,
जिसकी लाठी उसकी भैंस।

संविधान मात्र पुस्तकालयीय सजावट के लिए,
दुनिया को दिखावट के लिए,
कितने पारदर्शी और दूध के धुले हैं हम,
अपनों के सपनों का शोषण अधिकम।

अपनी पीठ स्वयं ठोंकना,
बुराई का दायित्व पड़ौसी पर थोपना,
जन -जन के पथ में काँटे रोपना,
अखबारों टीवी में अपनी वाहवाही भौंकना,
कि कितने बहादुर हैं हम।

बीज जातिवाद के बोना,
उनके लिए पीतल अपने लिए सोना,
नहीं ही सुनना कोई रोना -धोना,
जन -जन को खाई खोदना,
सियासत में जातिवाद की
विषाक्त शकरकन्द रोपना,
खण्ड -खण्ड करना भारतमाता,
चूल्हे सबके अलग -अलग सुलगाता,
खुल ही गया देश के पतन का खाता।

तानाशाही है कौन सी चिड़िया,
बाज की तरह निरीह गौरैया को
झपट कर खाती,
जल्लादों की होती नही जाति,
निरपराधों को फाँसी पर चढ़ाती,
विलासिता की कर्मनाशा में गोते लगाती।

न आशा है न विश्वास,
घुट रही निरंतर निम्न मध्य वर्ग की साँस,
सुखी है मात्र वर्ग उच्च,
जिनके के लिए आप और हम कीड़े तुच्छ,
चुटकियों में मसल देते हैं,
ढूँढते हैं अमावस्या की रात में पारदर्शिता,
अंधभक्तों की चल रही है
आगे -आगे मार्गदर्शिका ।

दीवार करते खड़ी भेदभाव की,
मरहम भी नहीं लगती है किसी घाव की,
कीमत नहीं कोई सद्भाव की।
वैतरणी बह रही है  सर्वत्र अभाव की,
यदि किसी ने भी त्राहि -त्राहि की
तो जुबां बन्द होगी ही उसके शबाव की।

मरघटी शांति कायम करते ,
भले ही आमजन भूख प्यास से मरते,
चील -बाजों के झपट्टों में
कबूतर फाख्ता मरते,
मगर वे तनाशाही में
तृण भर भी नहीं शरमाते डरते,
असहाय ग़रीब तृण भर नहीं उबरते,
‘शुभम ‘ की प्रत्याशा में
उनके घर -बार ही उजड़ते ,
लॉलीपॉप के सपनों में दिन पर दिन गुजरते,
किन्तु तनाशाह कदापि शरमाते न सुधरते,
और विलसिता की कर्मनाशा बह रही है
निरन्तर बहती जा रही है।

डॉ. भगवत स्वरूप ‘शुभम’

*डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

पिता: श्री मोहर सिंह माँ: श्रीमती द्रोपदी देवी जन्मतिथि: 14 जुलाई 1952 कर्तित्व: श्रीलोकचरित मानस (व्यंग्य काव्य), बोलते आंसू (खंड काव्य), स्वाभायिनी (गजल संग्रह), नागार्जुन के उपन्यासों में आंचलिक तत्व (शोध संग्रह), ताजमहल (खंड काव्य), गजल (मनोवैज्ञानिक उपन्यास), सारी तो सारी गई (हास्य व्यंग्य काव्य), रसराज (गजल संग्रह), फिर बहे आंसू (खंड काव्य), तपस्वी बुद्ध (महाकाव्य) सम्मान/पुरुस्कार व अलंकरण: 'कादम्बिनी' में आयोजित समस्या-पूर्ति प्रतियोगिता में प्रथम पुरुस्कार (1999), सहस्राब्दी विश्व हिंदी सम्मलेन, नयी दिल्ली में 'राष्ट्रीय हिंदी सेवी सहस्राब्दी साम्मन' से अलंकृत (14 - 23 सितंबर 2000) , जैमिनी अकादमी पानीपत (हरियाणा) द्वारा पद्मश्री 'डॉ लक्ष्मीनारायण दुबे स्मृति साम्मन' से विभूषित (04 सितम्बर 2001) , यूनाइटेड राइटर्स एसोसिएशन, चेन्नई द्वारा ' यू. डब्ल्यू ए लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड' से सम्मानित (2003) जीवनी- प्रकाशन: कवि, लेखक तथा शिक्षाविद के रूप में देश-विदेश की डायरेक्ट्रीज में जीवनी प्रकाशित : - 1.2.Asia Pacific –Who’s Who (3,4), 3.4. Asian /American Who’s Who(Vol.2,3), 5.Biography Today (Vol.2), 6. Eminent Personalities of India, 7. Contemporary Who’s Who: 2002/2003. Published by The American Biographical Research Institute 5126, Bur Oak Circle, Raleigh North Carolina, U.S.A., 8. Reference India (Vol.1) , 9. Indo Asian Who’s Who(Vol.2), 10. Reference Asia (Vol.1), 11. Biography International (Vol.6). फैलोशिप: 1. Fellow of United Writers Association of India, Chennai ( FUWAI) 2. Fellow of International Biographical Research Foundation, Nagpur (FIBR) सम्प्रति: प्राचार्य (से. नि.), राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय, सिरसागंज (फ़िरोज़ाबाद). कवि, कथाकार, लेखक व विचारक मोबाइल: 9568481040