तिरंगा
राष्ट्र ध्वजा तप तेज तिरंगा।बहे धरा पर पावन गंगा।। सदा सत्य जो बरसाता है।नर – नारी को हर्षाता है।।स्वस्थ सबल
Read Moreनर-नारी वे धन्य हैं, जिएं सहित अनुराग।आन मान सम्मान का,जागे नवल सुहाग।। जीवन वह जीवन नहीं,बजे फटा ज्यों ढोल,काँव-काँव करता
Read Moreदाना – पानी यहीं मिले सबफिर भी नहीं सुहाए भारत। पौध यहाँ की शूल बन गईजाकर पार देश को धोखाचुभते
Read More‘आकस्मिकता’ एक सौ एक प्रतिशत आकस्मिक है। वह किसी को भी इस बात के लिए संकेत नहीं देती कि वह
Read Moreअपनी मंजिल तक पहुँचाती।सरके नहीं सड़क कहलातीं।। दिन – रातों में चलते राही।यात्रा करें सभी मनचाही।।वहीं पड़ी वह कहीं न
Read Moreइस असार संसार में ऐसा भी बहुत कुछ विद्यमान है , जो ससार है,सारवान है।ऐसे ही सारवानों में एक शब्द
Read Moreसूरज आँखें दिखा रहा हैधरती से नाराज बड़ा। सिमट गई है छाँवपेड़ के पाँव तलेमुरझाए हैं गाँवतपन के दाँव चलेकंकड़
Read Moreमनुज-देह दृढ़ एक किला।बड़े भाग्य से तुम्हें मिला।। नौ दरवाजे सभी खुले,एक फूल जो नहीं खिला। आए- जाए श्वास युगल,होता
Read Moreअद्भुत अनुपम भारत मेरा।प्रचुर सम्पदा का शुभ घेरा।। कलरव करतीं यमुना गंगा।फहराता है सदा तिरंगा।।देव – देवियाँ करतीं फेरा।अद्भुत अनुपम
Read Moreजनता से लेकर नेता तक,चमचा से लेकर भगौना तक,चम्मच से लेकर दौना तक,वाचाल से लेकर मौना तक ‘पहले मैं’ का
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