दोहे – नेताजी का खेत
नेताजी का खेत है , अपना सारा देश।
फ़सल उगाते साल भर, बदल – बदल कर वेश।।1।
नेताजी के खेत में , घुसने का अधिकार।
अधिकारी को भी नहीं , करते सब स्वीकार।।2।
नेताजी के खेत में, खाए गाय न भैंस।
बने बिझूका नित खड़े, अंधभक्त सब फैंस।।3।
नेताजी चहुँदिशि फिरें, चूहे भागें दूर।
बिना टॉल बेटिकिट ही , ऐश करें भरपूर।।4।
नेताजी के खेत में , ‘ भक्त ‘ बो रहे बीज।
दुर्लभ उनको कुछ नहीं, सुलभ सदा हर ‘चीज’।।5।
नेताजी के शीश पर , घरवाली का राज।
यही राज की बात है, ज्यों गौरैया बाज।।6।
बाहर सब नेता कहें , घर में मूषक जान।
मंचों पर चिंघाड़ते , घर में बंद ज़ुबान।।7।
नेताजी की पीठ पर , लक्ष्मी सदा सवार।
लक्ष्मी का वाहन कहो, अँधियारे का यार।।8।
नेताजी की योग्यता , पर मत करो सवाल।
अधिकारी यश सर कहें , डिगरी की टकसाल।।9।
नेताजी की फ़सल का, मौसम बारह मास।
अधिकारी पछता रहे , पढ़े न होते काश।। 10।
वी आई पर्सन सदा, रहें रेल या जेल।
काला – पीला कुछ करें, ‘शुभम ‘ भावना खेल।।11।
— डॉ. भगवत स्वरूप ‘शुभम’