जीवन संवार डाला मेरा
मुश्किल जो थी राहें उसे आसां मुकाम कर
खुशियां जमाने भर की उसने मेरे नाम कर
वीरान से जीवन में वो बहार ले आई
जीवन संवार डाला मेरा हाथ थाम कर
वो प्रेम का ले आई एहसास जीने में
उसने बढा़या मेरा विश्वास जीने में
बस प्यार है खुशियां हैं हर घड़ी हर पल
गमों का कोई भी न है आभास जीने में
मिठास भरी सुबह व रंगीन शाम कर
जीवन संवार डाला मेरा हाथ थाम कर
उससे पहले खुशियों की ये लाली नहीं थी
प्रेमपुष्प से भरी ये डाली नहीं थी
था भले बहुत कुछ पर कुछ कसर भी था
इतना सुख इतनी खुशहाली नहीं थी
वो आई है खुशियों का वृहत् आयाम कर
जीवन संवार डाला मेरा हाथ थाम कर
जीवन संवार डाला मेरा हाथ थाम कर
विक्रम कुमार
मनोरा, वैशाली