कविता

हक़ीकत

आजकल हक़ीकत
ख्वाबों से निकलकर,
पूछती कहाँ है…?
किस ओर जा रहे हो,
और जाना कहाँ है…?

हर शक्स
परेशान है यहाँ
जिये कहाँ थे,
और जीना कहाँ है..?

समय का आवरण
नहीं देर करता है।
उसे फर्क नहीं,
आपने क्या खोया,
और क्या पाया…?

पल-पल
घिसती उम्र
सुख दुख से
अलग नहीं
एक ओर,
बाँहें फैलाकर
सपने खड़े हैं
तो दूसरी ओर
पैर खीचती
जिम्मेंदारियाँ

रोज
साँस बेचकर
बच्चों के,
होठों हँसी
खरीदनें को
बेकरार रहना
समय की धूप में
खुद के पकने का
इन्तज़ार करना
क्या यही जिन्दगी है..?

और आखिर
वो दिन भी आता है
जब अपने ही
अपने कन्धों पर
लिटाकर
छोड़ आते हैं
मिट्टी को,
मिट्टी में
मिल जाने के लिये
बस यही सोच
रह जाती है
क्या करना था,
और क्या कर पाया है?
………मानस

सौरभ दीक्षित मानस

नाम:- सौरभ दीक्षित पिता:-श्री धर्मपाल दीक्षित माता:-श्रीमती शशी दीक्षित पत्नि:-अंकिता दीक्षित शिक्षा:-बीटेक (सिविल), एमबीए, बीए (हिन्दी, अर्थशास्त्र) पेशा:-प्राइवेट संस्था में कार्यरत स्थान:-भवन सं. 106, जे ब्लाक, गुजैनी कानपुर नगर-208022 (9760253965) [email protected] जीवन का उद्देश्य:-साहित्य एवं समाज हित में कार्य। शौक:-संगीत सुनना, पढ़ना, खाना बनाना, लेखन एवं घूमना लेखन की भाषा:-बुन्देलखण्डी, हिन्दी एवं अंगे्रजी लेखन की विधाएँ:-मुक्तछंद, गीत, गजल, दोहा, लघुकथा, कहानी, संस्मरण, उपन्यास। संपादन:-“सप्तसमिधा“ (साझा काव्य संकलन) छपी हुई रचनाएँ:-विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में कविताऐ, लेख, कहानियां, संस्मरण आदि प्रकाशित। प्रेस में प्रकाशनार्थ एक उपन्यास:-घाट-84, रिश्तों का पोस्टमार्टम, “काव्यसुगन्ध” काव्य संग्रह,