ग़ज़ल
शील मानव का सही पहचान है
स्वार्थ हिंसा से भरा शैतान है |
अंध विश्वासों का’ उन्मूलन करो
एक ही तरकीब अब विज्ञान है |
रहनुमा तो सामने जाते नही
फ़ौज करते जान की कुर्बान है |
देश को सब रहनुमाओं ने लुटा
देश का तकदीर नौजवान है |
सैनिकों की देन की तुलना नहीं
वीर सैनिक पर हमें अभिमान है |
आदमी की जिंदगी क्षण के लिए
इस धरा पर आदमी महमान है |
तुम नमन ‘काली’ करो अद्वैत को
जान देते पालते भगवान है|
कालीपद ‘प्रसाद’