राजनीति

अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय – ये जीत है भारतीय संस्कृति की

सुप्रीम कोर्ट का सर्वमान्य निर्णय
अयोध्या मसले पर आए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने यह साबित कर दिया है कि आज़ भी हमारे देश के प्रत्येक नागरिक की संविधान और देश की न्यायिक व्यवस्था में उतनी ही आस्था है, जितनी पहले थी। हां, कुछ तथाकथित बुद्धिजीवियों और धर्म निरपेक्ष लोगों को इस निर्णय से परेशानी हो सकती है। परन्तु एक लम्बे समय से चले आ रहे विवाद के शांतिपूर्ण तरीके से निकाले गए समाधान के लिए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश माननीय रंजन गोगोई जी एवं उनकी पीठ के अन्य सदस्य न्यायाधीश निश्चित रूप से साधुवाद के पात्र हैं।
             ऐसा पहली बार हुआ है कि एक इतने विवादित केस में पांच सदस्यों की पीठ ने सर्वसम्मति से एक निर्णय दिया है। लगभग 45 मिनट तक मुख्य न्यायाधीश ने 1045 पेज का जो अपना फैसला सुनाया, वह एक ऐतिहासिक दस्तावेज बन गया। आज़ का दिन हिन्दुस्तान के इतिहास में सदैव याद किया जाएगा, न केवल इस असाधारण फैसले के लिए बल्कि हमारी गंगा-जमुनी संस्कृति के लिए, हमारी विविधता में एकता के लिए, सांप्रदायिक सौहार्द के लिए और सबसे अहम शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए।
इलाहाबाद हाईकोर्ट का निर्णय
राजनीतिक तौर पर बेहद संवेदनशील माने जाने वाले इस मामले में तीन मुख्य पक्ष थे- दो हिन्दू पक्ष और एक मुस्लिम पक्ष। हिन्दू पक्ष में से एक निर्मोही अखाड़े ने सन् 1959 में अदालत का दरवाजा खटखटाया था। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने 1961 में और रामलला विराजमान ने 1989 में अदालत का रुख किया था।
तब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में विवादित जमीन को तीनों पक्षों के बीच बांट दिया था। इसके अंतर्गत रामलला विराजमान  को वो जगह मिली, जहां पर भगवान राम के जन्म स्थान होने का दावा किया जाता रहा है। ये अंदर का हिस्सा है। इसके बाहर वाली भूमि को निर्मोही अखाड़ा के हवाले किया गया था और उसके बाहर की जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को दी गई थी। लेकिन इस फैसले को तीनों पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और तब से यह केस सुप्रीम कोर्ट में चल रहा था।
इस पर 2011 में सुनवाई शुरू होनी थी लेकिन वर्षों के लम्बे इंतजार के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आखिर कुछ समय पूर्व इस पर सुनवाई शुरू की, जो 40 दिनों तक लगातार चली और 16 अक्टूबर को समाप्त हुई। सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया।
फैसला रामलला विराजमान के पक्ष में
आखिरकार 9 नवंबर का दिन हिन्दुस्तान की जनता के लिए एक स्वर्णिम दिन बनकर आया, जब सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 5-0 से अपना फैसला एकमत होकर सुनाया। इसके अनुसार मंदिर निर्माण के लिए 2.77 एकड़ जमीन की प्राप्तकर्ता केन्द्र सरकार होगी। निर्मोही अखाड़े के दावे को यहां पर खारिज कर दिया गया है और सरकार से कहा गया है कि ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े को प्रतिनिधित्व दिया जाए।
सुन्नी वक्फ बोर्ड को अलग जमीन
इस फैसले का दूसरा मुख्य बिन्दु है, सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन अयोध्या में दी जाए।
यहां पर कोर्ट ने यह माना कि बाबरी मस्जिद मीर बकी ने बनाई थी और वह इस्लामिक ढांचा नहीं थी। उसका विध्वंस कारसेवकों ने किया था, क्योंकि वे वहां पर राम मंदिर का निर्माण करना चाहते थे। मुस्लिम पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि वहां पर मस्जिद अपने मूल रूप में थी।
एएसआई की रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने यह बात भी मानी कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक उस स्थान पर भगवान राम के जन्म स्थान होने के पर्याप्त सबूत हैं। उन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता। यह निर्णय केवल आस्था और विश्वास के आधार पर नहीं लिया गया है बल्कि सम्पूर्ण साक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए ही लिया गया है। भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है और यहां लोकतांत्रिक मूल्यों का पूर्ण सम्मान किया जाता है। यहां पर सबके साथ न्याय किया जाता है।
सुन्नी वक्फ बोर्ड ने फैसले का किया स्वागत
इस पूरे केस के एक अहम पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इस फैसले का स्वागत किया है और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को तहेदिल से स्वीकार किया है। यह फैसला हमारी भारतीय संस्कृति की अक्षुण्णता और एक दूसरे के प्रति सम्मान की भावना का अप्रतिम उदाहरण बन गया है। जहां मुस्लिम भाइयों ने श्रीराम के प्रति अपना सम्मान दर्शाया, वहीं हिन्दुओं ने भी उन्हें गले लगाकर बधाई दी।
फिर हुई सत्य और एकता की मिसाल कायम
काफ़ी लम्बे समय से चले आ रहे विवाद का अत्यन्त शांतिप्रिय तरीके से समाधान निकालने के लिए न केवल सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बल्कि सम्पूर्ण भारत के नागरिक प्रशंसा के पात्र हैं और साथ ही केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार भी, जिनकी जागरूकता और कुशल प्रशासनिक व्यवस्था के कारण ही यह संभव हो पाया। एक बार फिर सत्य, आस्था, विश्वास और परस्पर प्रेम की जीत हुई है। इसका सभी नागरिकों द्वारा खुले दिल से स्वागत किया गया है और अब यह केन्द्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह जल्दी से जल्दी एक ट्रस्ट बनाए, जो अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की भूमिका तैयार करे। जिससे उन करोड़ों भक्तों की राम मंदिर निर्माण की आशा पूर्ण हो, जो एक लम्बे समय से विलंबित थी।
 साथ ही सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए कोर्ट द्वारा निर्धारित जमीन मुहैया कराई जाए, जहां हमारे मुस्लिम भाई अपनी आस्था के अनुरूप एक भव्य मस्जिद का निर्माण कर सकें। इधर मंदिर में आरती की घंटियां बजे तो मस्जिद से अजान की आवाज आए। हम इतिहास तो नहीं बदल सकते लेकिन एक नए इतिहास का निर्माण तो अवश्य कर सकते हैं।
— सरिता सुराणा

सरिता सुराणा

पति : बिमल सुराणा शिक्षा : बी. ए. ( राजस्थान विश्वविद्यालय , जयपुर ) लेखन विधा : कहानी , व्यंग्य , निबंध , लघुकथा , कविता , संस्मरण , पत्र - लेखन एवं समीक्षा आदि । प्रकाशन : कादम्बिनी , सरिता , गृहशोभा , संकल्य , पुष्पक , भास्वर - भारत , अणुव्रत , युवादृष्टि , जैन भारती , राष्ट्रधर्म , प्रेरणा - अंशु , सरस्वती सुमन , इंडिया टुडे आदि । जागती जोत , हथाई एवं नैणसी आदि राजस्थानी भाषा की पत्रिकाएं । राजस्थान पत्रिका, दैनिक भास्कर, अमर उजाला, नवभारत टाइम्स, दैनिक जागरण एवं लोकमत आदि समाचारपत्रों में रचनाएं प्रकाशित।अनेक ऑनलाइन पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। पुरस्कार : कादम्बिनी युवा व्यंग्य प्रतियोगिता 2004 , प्रथम पुरस्कार युद्धवीर स्मारक कहानी प्रतियोगिता 2004 , प्रथम पुरस्कार युद्धवीर स्मारक व्यंग्य प्रतियोगिता 2005 , 2007 , प्रथम एवं द्वितीय पुरस्कार युद्धवीर स्मारक कविता प्रतियोगिता 2008 प्रथम पुरस्कार युद्धवीर स्मारक लेख प्रतियोगिता 2009 एवं 2013 प्रथम एवं द्वितीय पुरस्कार महारानी झांसी पुरस्कार , 2015 , भारतीय संस्कृति निर्माण परिषद द्वारा अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल द्वारा आयोजित " आचार्य श्री महाश्रमण व्यक्तित्व एवं कृतित्व " निबंध प्रतियोगिता - द्वितीय पुरस्कार, 2012 अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद द्वारा आयोजित निबंध प्रतियोगिता " क्या कहता है जैन लोगों " में द्वितीय पुरस्कार प्राप्त । अणुव्रत समिति , नई दिल्ली द्वारा नशामुक्ति पर आयोजित निबंध प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार प्राप्त जैन विद्या विशारद परीक्षा तथा आगम मंथन प्रतियोगिता ( सूयगडो एवं दसवेआलियं ) में विशिष्ट पुरस्कार । कई अन्य लेख एवं पत्र पुरस्कृत । प्रकाशित कृति- ' मां की ममता ' कहानी-संग्रह, काव्य संग्रह एवं लघुकथा संग्रह प्रकाशन के क्रम में। विशेष- आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर काव्य पाठ, परिचर्चा में शामिल। संस्थाओं से संबद्धता : कादम्बिनी क्लब , हैदराबाद , संगोष्ठी संयोजिका सांझ के साथी साहित्य गरिमा पुरस्कार समिति , हैदराबाद अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मेलन ,प्रयाग , आंध्र प्रदेश महिला विभाग , आजीवन सदस्य ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, नई दिल्ली, सदस्य अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन, सदस्य भारतीय जैन संघटना , महिला विभाग जैन श्वेताम्बर तेरापंथ महिला मंडल , हैदराबाद , आजीवन सदस्य जैन सेवा संघ , महिला विभाग , आजीवन सदस्य जैन वूमेन फोरम , हैदराबाद-सिकन्दराबाद मारवाड़ी महिला संगठन, आजीवन सदस्यता। अन्य अनेक साहित्यिक, सांस्कृतिक, सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं से संबद्धता। पूर्व सब एडिटर डेली हिन्दी मिलाप, हैदराबाद। सम्प्रति : फीचर एडिटर डेली 'शुभ लाभ', हैदराबाद Email :[email protected] Mob : 9177619181