कविता

चिड़ियों का संकट

बिजली के नंगे तारों से,
चिड़िया धोखा खा जाती,
गलती से चोंच भिड़ा जाती |
करंट खाकर मर जाती ||
कौन उसे यह बात बताये,
नंगे तारों पर न चोंच लड़ाये,
पर वो बेचारी समझ न पाये |
चिड़िया जाये तो कहाँ जाये ||
पेड़ बचे अब बस थोड़े से,
उड़ान की थकान से थककर,
बिजली के तारों पर विश्राम करे |
अपनों से प्यार भरी दो बातें करे ||
झट करंट दोनों में दौड़ पड़े,
बड़ी दु:खद घटना घट जाती,
वैज्ञानिकजी कोई अविष्कार करो!
नन्हीं-नन्हीं चिड़ियों का संकट हरो ||
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा 

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111