लघुकथा

कन्याभोज

कन्याभोज

क्या रन्नो रानी! कैसा चल रहा है?

आइये, आइये रूप बाबू! बड़े दिनों बाद इस गरीबखाने में?

हाँ काम-काज में कुछ ज्यादा व्यस्त हो गये थे।

तो कहिए! आज किसको भेजूँ आपकी सेवा में?

किसी को भी भेज दो, बस कमसिन कली हो….

15 साल की कायना को भेज दूँ? अभी 3 दिन पहले ही उसका प्रेमी एक लाख में बेच गया है। लेकिन मालिक! उसके लिए दो घंटे रूकना पड़ेगा।

आय हाय! उसके लिए तो रातभर इंतजार कर सकता हूँ पर क्या करूँ? कल दुर्गा-अष्टमी है ना! घर में पूजा है उसके बाद कन्या भोज……….

सौरभ दीक्षित मानस

नाम:- सौरभ दीक्षित पिता:-श्री धर्मपाल दीक्षित माता:-श्रीमती शशी दीक्षित पत्नि:-अंकिता दीक्षित शिक्षा:-बीटेक (सिविल), एमबीए, बीए (हिन्दी, अर्थशास्त्र) पेशा:-प्राइवेट संस्था में कार्यरत स्थान:-भवन सं. 106, जे ब्लाक, गुजैनी कानपुर नगर-208022 (9760253965) [email protected] जीवन का उद्देश्य:-साहित्य एवं समाज हित में कार्य। शौक:-संगीत सुनना, पढ़ना, खाना बनाना, लेखन एवं घूमना लेखन की भाषा:-बुन्देलखण्डी, हिन्दी एवं अंगे्रजी लेखन की विधाएँ:-मुक्तछंद, गीत, गजल, दोहा, लघुकथा, कहानी, संस्मरण, उपन्यास। संपादन:-“सप्तसमिधा“ (साझा काव्य संकलन) छपी हुई रचनाएँ:-विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में कविताऐ, लेख, कहानियां, संस्मरण आदि प्रकाशित। प्रेस में प्रकाशनार्थ एक उपन्यास:-घाट-84, रिश्तों का पोस्टमार्टम, “काव्यसुगन्ध” काव्य संग्रह,