कविता

कागज की नाव

बारिश में पानी भरे गड्ढों में
कागज की नाव चलाने को
मन बहुत करता
हम बड़े जरूर हुए
ख्यालात तो वो है हुजूर
रिश्तों के पेचीदा गणित में
उलझ जाकर पहचान भूल जाते
घर आंगन जो बुहारे गए
धूल भरी आंधी सूखे पत्तो संग
कागज के टुकड़ों को बिखेर जाती पागल हवा
सूने आंगन में
बुहार कर सोचता हूं
कागज की नाव बनालू
पानी से भरे गढढो
को ढूंढता हूं
पानी तो बोतलों में बंद
बरसात की राह ताकते
बूढ़ा हो चुका
खेतों में हल नहीं चले
शायद नाव भी अनशन पर जा बैठी
जल का महत्व
केवट और किसान ज्यादा जानते
हम तो छोटे थे
तब कागज की नाव चलाते
और लोग बाग कागजों पर ही
नाव चला देते है
ख़ैर, जल बचाएंगे तभी
सब की नाव सही तरीके से चलेगी
आने वाली पीढ़ी के बच्चे
नाव बनाना और चलाना सीख पाएंगे
संजय वर्मा “दृष्टि”

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /[email protected] 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच