सिर्फ तुम
बिन तेरे सब सूना लगता है
एक तू ही दिल के करीब लगता है ।
इश्क़ भी तू नफरत भी तू
सारा जहाँ रकीब लगता है
एक तू ही दिल के करीब लगता है
सुबह भी तू सांझ भी तू
चाँद भी तेरा अक्स लगता है
एक तू ही दिल के करीब लगता है
साँस भी तू धड़कन भी तू
दिल का सुकून भी तुझमें बसता है
एक तू ही दिल के करीब लगता है।
दरिया भी तू झील भी तू
सारा जहाँ समुद्र लगता है
एक तू ही दिल के क़रीब लगता है।
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ