अपनी कद्र करो
जनता कद्र करेगी जब तक नेता की,
नेतागण यूँ ही जनता को लूटेंगे।
प्रतिभाएँ सड़कों पर कुचली जाएँगी,
लोकतन्त्र के भाग्य रोज ही फूटेंगे।
अपनी क्षमता को पहचानों, कद्र करो,
मक्कारों के अहंकार तब टूटेंगे।
फिर कोई गणितज्ञ नहीं पागल होगा,
धोखा देने वालों को जब कूटेंगे।
जब तक हम जिम्मेदारी से भागेंगे,
अन्य लोग जिम्मेदारी से छूटेंगे।
जो अपना उल्लू साधे तुमसे मिलकर,
अवध भगाओ, रूठेंगे तो रूठेंगे।
— डॉ अवधेश कुमार अवध