गीतिका
खंड खंड आकाश देखिए
रिश्तो का संत्रास देखिए
रक्त जनित सारे रिश्तो में
दरक रहा विश्वास देखिए
भाई की जड भाई काटता
करता है उपहास देखिए
भावुक मन निरद्वंद भटकता
रहता सदा निराश देखिए
जाने कब तक छुट्टी पर हैं
खुशियों का अवकाश देखिए
कोशिश अपनी फिर भी जारी
करते सतत प्रयास देखिए
कैसे इससे उबरा जाए
लगा जतन सायास देखिए
बंदी गृह में पिता को डाला
भारत का इतिहास देखिए
किसको व्यथा बताएं अपनी
समय न आता रास देखिए
— मनोज श्रीवास्तव लखनऊ