बेटियाँ
बेटियाँ
बेटियाँ हैं हसरतें दिल की कली-
छोड़ दूजे घर बसें दस्तूर है |
प्रेम के रस में पगी रस घोलती-
ये दुआ रब की खुदा का नूर हैं |
बेटियों से गूँजता है आँगना –
ये न हों तो हर चमन बेनूर है |
मत भरो इन आँख में यूँ अश्क को-
ये खुदा की नेमते मशहूर हैं |
बेटियों की ज़िंदगी अनमोल है –
बेटियों से घर की रौनक हूर है |
बेटियाँ हैं मान घर की शान है-
बेटियों ने कुल किये पुरनूर है |
ना रहीं जो बेटियाँ मिट जायेगा-
दंड मिलता है यही दस्तूर है |
मंजूषा श्रीवास्तव’मृदुल’