कविता

एक लड़की

एक लड़की …….

जन्म के साथ ही,
अफ़सोस के रूप में अपनायी जाती है।

जिसके कद के साथ साथ बढ़ती है,

पिता के माथे की लकीरें।
माँ के तानो, उलाहनों के बीच,
अपने वजूद को तलाशती,
जीवन से- जीने के लिये,
चन्द खुशनुमा लम्हे माँगती।
एक लड़की………
बार – बार हर बार ठुकराई जाती है।

शैशव में-
भइया की बोतल के
बचे दूध पर जीती।
चिलकती धूप में- सरकारी स्कूल की टिन की छत के नीचे,
फ्राक के किनारों से पोछती पसीना।
काली तख्ती पर सफेद खड़िया से लिखती सुनहरा भविष्य,
एक लड़की……….
बार – बार हर बार
भविष्य के नाम पर डराई जाती है।

यौवन में-
महसूस करती,
माँ की फिक्र, पिता की विवशता।
हर कदम नापती, तोलती बचती,
पीठ पर खुदी आँखो से।
हर शाम लेती सुकून की सांस,
सुबह की फिक्र के साथ।
पढने दो ना पापा! बुनने दो ना सपने!
गुड़िया हूँ तुम्हारी बोझ नही,
सम्भालूंगी तुमको हर सांस।
हर बार सहमी आँखों से,
पिता की स्वीकृति को मापती,
बार – बार हर बार,
पराई ही कही जाती है।
एक लड़की………

 — अंजू अग्रवाल

अंजू अग्रवाल

पति - अजय नाथ माता का नाम। - मनोरमा देवी जन्मतिथि - 29.12.1968 शिक्षा - एम. कॉम., एम.एड., एम.ए.(हिन्दी), एल.एल. वी.,यू.जी.सी. नेट व्यवसाय - शिक्षण साहित्य सेवा - कहानी, लघु कथा, कविता आलोचना आदि लेखन में सक्रिय अजमेर लेखिका मंच की सदस्य लेखन की विधा - लेख, कहानी, कविता आलोचना आदि साहित्य सेवा आपके लिये क्या है- स्वयं से वार्तालाप पसंदीदा साहित्यकार- मुंशी प्रेमचन्द पता- 7,गुलाब बाड़ी एन्क्लेव श्रीनाथ विवाह स्थल के पीछे,गुलाब बाड़ी अजमेर(राजस्थान)305007 ईमेल- [email protected]

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