आओ मिलकर हम सब, धरा नई बनाते हैं
गीत नया गाते हैं,अब गीत नया गाते हैं।
जो बीत गया सो बीत गया आगे की सुध लेते हैं।
धरा नई बनाते हैं अब धरा नई बनाते हैं।
न रहे कोई भूखा प्यासा,न सोये फुटपाथ पर
न हो धर्म भेद कहीं, न विवाद तकरार हो।
चहूँ ओर जलाकर शिक्षा ज्योति अंधकार मिटाते हैं।
धरा नई बनाते हैं अब धरा नई बनाते हैं।
हक सबका समान होगा, अब नहीं अपमान होगा।
अन्न उगाने वाला ही तो, अब यहां भगवान होगा।
निर्धनों की आस बनकर प्रेम राग लुटाते हैं।
धरा नई बनाते हैं अब धरा नई बनाते हैं।
भेद न होगा इंसानों में, भेद न होगा संतानों में
नारी का सम्मान होगा, बेटी पर अभिमान होगा।
कौन अपना कौन पराया, सबको गले लगते हैं।
धरा नई बनाते हैं अब धरा नई बनाते हैं।
— निशा नंदिनी