पर्यावरण

भारत में प्रदूषण की भयावह स्थिति बनाम राजनैतिक मसख़रापन

वाशिंगटन स्थित एक अमेरिकन संस्था इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवेल्यूएशंस ने विश्व भर के लिए अपनी रिपोर्ट में 2017 में प्रदूषण की भयावह स्थिति पर अपनी एक रिपोर्ट जारी किया है कि भारत में बेतहाशा बढ़ते प्रदूषण से बारह लाख मौतें हुईं ,जिनमें छः लाख तिहत्तर हजार एक सौ (673100) लोगों की मौतें घर से बाहर पर्यावरण में अत्यधिक कारों के प्रयोग से तथा कल-कारखानों से निकले प्रदूषणयुक्त 92 प्रतिशत धुँओं में घुले पीएम-2.5 की वजह से हुई और चार लाख इक्यासी हजार सात सौ (481700) मौतें घरेलू प्रदूषण की वजह से हुई,भारत में लोगों की प्रदूषण से ढाई साल उम्र कम हो गई है,लोग अत्यधिक प्रदूषण से हार्ट अटैक, सांस की विभिन्न बिमारियों, फेफड़े में सूजन व कैंसर तथा डायबिटीज होने की वजह से मर रहे हैं।
सुप्रीमकोर्ट,मिडिया तथा पर्यावरण वैज्ञानिकों के बार-बार चेतावनी देने और इस हेतु सरकारों को कुछ गंभीरतापूर्वक करने के लिए फटकारने और प्रेरित करने के लिए कहने के बावजूद भारतीय राजनैतिक विरादरी इसके निराकरण करने के प्रति अभी भी उदासीन, लापरवाह और गैरजिम्मेदाराना रूख अख्तियार किए हुए हैं,तभी तो इस हेतु मंगलवार को हुई संसद की बैठक में इसके लिए कोई ठोस समाधान करने की जगह दिल्ली में केजरीवाल सरकार के प्रदूषण कम करने के लिए आड-इवेन जैसे प्रयासों की भी जी भरकर कोसने और आलोचना करने आदि में कुछ राजनैतिक दल अपनी सारी उर्जा और समय व्यर्थ गंवा दिए, जबकि इन आलोचना करने वाले दलों का प्रदूषण कम करने के प्रयास लगभग शून्य हैं। कितनी दःखद और खेदजनक है कि अभी पिछले हफ्ते संसद की स्टैंडिंग कमेटी द्वारा पर्यावरण के विषय पर बुलाई गई मिटिंग में कमेटी के 25 सदस्यों में 21सदस्य इस महत्वपूर्ण और जीवनमरण के मसले पर विचार विमर्श करने आए ही नहीं !
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इस भयंकरतम् प्रदूषण से ही पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में बारम्बार भयंकर तूफान,उत्तराखंड में जगह-जगह बादलों का फटना,उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में भयंकर सूखा तथा राजस्थान में अतिवृष्टि, केरल और चेन्नै में जबर्दस्त बाढ़ आदि के रूप में प्रकृति बार-बार अपना रौद्र रूप दिखाकर चेतावनी दे रही है। भारत के राजनैतिक विरादरी को अब इस मसले पर मसखरापन और अगंभीरता की दुःखद प्रवित्ति को त्याग कर अब गंभीर हो जाना चाहिए, जैसे दुनिया के बहुत से देश पर्यावरण की गंभीरता और नाजुक हालात को समझकर इसके अनुरूप कदम उठा रहे हैं।

— निर्मल कुमार शर्मा

*निर्मल कुमार शर्मा

"गौरैया संरक्षण" ,"पर्यावरण संरक्षण ", "गरीब बच्चों के स्कू्ल में निःशुल्क शिक्षण" ,"वृक्षारोपण" ,"छत पर बागवानी", " समाचार पत्रों एवंम् पत्रिकाओं में ,स्वतंत्र लेखन" , "पर्यावरण पर नाट्य लेखन,निर्देशन एवम् उनका मंचन " जी-181-ए , एच.आई.जी.फ्लैट्स, डबल स्टोरी , सेक्टर-11, प्रताप विहार , गाजियाबाद , (उ0 प्र0) पिन नं 201009 मोबाईल नम्बर 9910629632 ई मेल [email protected]