तौबा
”नशा शराब में होता तो नाचती बोतल……..!” शराबी फिल्म का यह गीत रेडियो पर बज रहा था, लेकिन वीना गोयल को लग रहा था कि तीस साल पहले भी वह ही नाच रही थी और आज भी.
तब वह स्कूल में अपनी सहकर्मियों से कहती-
”मैं थकी-हारी स्कूल से घर पहुंचती ही हूं, कि सासू मां बच्चों से कहती हैं- ‘अब जाओ मम्मा के पास, वह घूमी-घूमी करके आई है.’ मेरा तो दिमाग ही घूम जाता है!”
”हाSSSS—” आशालता निराशा की लता को तनिक और सींच देती.
”मैं डाइनिंग टेबिल साफ करती हूं, तो सासू मां नीचे झुककर साफ करने को कहती हैं, मैं तो परेशान हो जाती हूं.” वीना गोयल के यह कहने पर डबल A (Aसे अमृता और A ब्लॉक में रहने वाली) के घमंड में चूर अमृता विषधार बरसाकर वीना को और भड़काती.
सोने से पहले आटे की थैली की थैली को डिब्बे में न पलटना, रोज रात को दीवार पर चप्पल मारकर मच्छर मारना आदि से सासू मां का नाराज होना वीना को खलता था! सासू मां खुद सफाई आदि सब बातों का बहुत ध्यान रखती थीं, इसलिए पति के डर के मारे वह पर तो कुछ बोल नहीं पाती थी, सो स्कूल में ही सारी भड़ांस निकालती. उसकी चुगली का लंच सबका पेट भर देता और वह महल जैसे घर को छोड़कर पति और बच्चों सहित अलग झुग्गी में रहने को तैयार हो गई थी.
तब विनीता ने ही उसे समझाया था- ”भले ही मैं अब तक सासू मां नहीं बनी, पर तेरी सासू मां कहीं भी गलत नहीं है, जब कि वह खुद ऐसा करती है. शुक्र कर कि तेरे बच्चों को अच्छी परवरिश मिल रही है. एक बात ध्यान से सुन ले- घर से पैर बाहर निकालते ही सारी सम्पत्ति तेरी इकलौती ननद के नाम हो जाएगी. बहकावे के विषपान में अपना वर्तमान और भविष्य खराब मत करना. घर बिगाड़कर आज मजा लेने वाले, फिर भी मजा ही लेंगे.”
गाना तो खत्म हो गया था, लेकिन आज सासू मां बनी वीना गोयल अभी भी नाच रही थी. स्कूल में बहू की चुगली करके वह सहकर्मियों की प्रतिक्रियाओं पर रंग बदलती और मजा लेने वालों के बहकावे में आकर नाचती रहती थी. अब वह सासू मां की बातों की असलियत भी समझ चुकी थी.
”तब तो मुझे विनीता ने समझा-बुझाकर मेरा घर बसा दिया था, आज तो है ही बहुओं का और चटखारे लेकर बात इधर-उधर करके मजा लेने का जमाना. एक भी चुगली बहू तक पहुंच गई, तो मेरा क्या हाल होगा!” कभी वह सोचती.
उसने चुगली के नशे से तौबा करके खुश रहने के गुर का चुनाव कर लिया था.
चुगली भी एक भयावह नशा है, जो मन की सकारात्मकता का नाश कर देता है. यह अपना और दूसरों का जीना दूभर कर देता है. नशा अपनी ही शान को कुतर जाता है.
नशा, नाश और शान में वर्ण एक समान हैं, बस मात्रा का अंतर है. किसी भी तरह का नशा, शान को नाश कर देता है.