ऑस्ट्रेलिया: दो कविताएं
1.बारिश का मौसम
नक्शे में छोटा-सा देश ऑस्ट्रेलिया
लेकिन
प्राकृतिक संपदा में
अत्यंत समृद्ध और विशाल
अनेक देशों के लोगों को
जिसने प्रेम से अपने में समो लिया.
.
ऑस्ट्रेलिया में नहीं होता
बारिश का कोई मौसम
यहां होता है
बारिश का हमेशा मौसम.
सर्दी अधिक बढ़ जाती है
तो बारिश आ जाती है
मौसम हो जाता है सम
यहां होता है
बारिश का हमेशा मौसम.
गर्मी अधिक बढ़ जाती है
तो बारिश आ जाती है
मौसम हो जाता है सम
यहां होता है
बारिश का हमेशा मौसम.
जब जंगलों में लग जाती है बुशफायर
तो बारिश आ जाती है
मौसम हो जाता है सम
यहां होता है
बारिश का हमेशा मौसम.
यहां रखते हैं लोग
साथ हमेशा छतरियां
न जाने किस समय बारिश आ जाए
और साथ निभाएं छतरियां
क्योंकि
यहां होता है
बारिश का हमेशा मौसम.
लीला तिवानी
2.जैकेरैंडा (jacaranda)
ऑस्ट्रेलिया में
बहार यानी वसंत के मौसम में
जामुनी रंग के
जैकेरैंडा फूलों की बहार होती है
इन दिनों
पूरे ऑस्ट्रेलिया में
जामुनी रंग के जैकेरैंडा फूलों के
कालीन बिछे होते हैं
सुबह-सुबह ताजे हजारों जामुनी फूल
झरकर वसुंधरा को
जामुनी जामा पहना देते हैं
शाम को फिर जैकेरैंडा का वृक्ष
जामुनी फूलों से लद जाता है
सुबह फिर से झरने के लिए.
लीला तिवानी
कालीन
कालीन अथवा गलीचा उस भारी बिछावन को कहते हैं जिसके ऊपरी पृष्ठ पर आधारणत: ऊन के छोटे-छोटे किंतु बहुत घने तंतु खड़े रहते हैं। इन तंतुओं को लगाने के लिए उनकी बुनाई की जाती है, या बाने में ऊनी सूत का फंदा डाल दिया जाता है, या आधारवाले कपड़े पर ऊनी सूत की सिलाई कर दी जाती है, या रासायनिक लेप द्वारा तंतु चिपका दिए जाते हैं।
सिडनी में नवम्बर महीना,
जामुनी फूलों का मौसम,
प्रकृति ने मानो जामुनी चूनर ओढ़ ली है.
लॉन पर जामुनी फूलों का गलीचा,
रस्ते में जामुनी फूल,
बस स्टॉप पर जामुनी फूल,
पेड़ों पर जामुनी फूल,
पौधों पर जामुनी फूल,
लताओं-बेलों पर जामुनी फूल,
एक छोटी-से कली में बिखरे हुए चालीसों जामुनी फूल,
अंगूर के गुच्छे जैसे जामुनी फूल,
शहनाई जैसे जामुनी फूल,
यानी जिधर देखो जामुनी-ही-जामुनी फूल,
लगता है जामुनी फूल गा रहे हैं-
”पांव छू लेने दो फूलों को इनायत होगी, इनायत होगी
वरना हमको नहीं, इनको भी शिकायत होगी, शिकायत होगी.”
यह शिकायत हम करते हैं, फूल नहीं,
ठंडी-लहराती हवा में उड़ती-बिखरती गुलाब की पत्तियां,
मानो खुश होकर गा रही थीं-
”ऐ फूलों की रानी बहारों की मलिका
तेरा मुस्कुराना गज़ब हो गया
न दिल होश में है न हम होश में हैं
नज़र का मिलाना गज़ब हो गया.”
फूलों का यह सुरीला संगीत मन को मुग्ध कर रहा था,
मन में मधुरिम भाव भर रहा था,
मन को समझा रहा था,
प्रकृति ने पाला है,
सुंदरता में ढाला है,
प्रकृति को समर्पित हो जाओ,
उसी की मौज में खो जाओ,
वह फिर से हमें पालेगी-ढालेगी,
खुशबू का उपहार देगी,
हम फिर से उसी को समर्पित हो जाएंगे,
झूम-झूमकर गाएंगे-
”ऐ फूलों की रानी बहारों की मल्लिका
तेरा मुस्कुराना गज़ब हो गया”
और
”पांव छू लेने दो फूलों को इनायत होगी, इनायत होगी”
यही इनायत हमारा नजराना है,
हमको तो हर हाल में झूम-झूमकर गाना है,
संगीत के सुर सजाना है,
संगीत के सुर सजाना है,
संगीत के सुर सजाना है.