तेवर
“दूधवाले भैयाजी, क्या आप हमारे यहाँ भी प्रतिदिन एक लीटर दूध दे सकते हैं ?” पड़ोसी के घर में प्रतिदिन दूध देने वाले से हमने पूछा।
“दे सकता हूँ साहब, पर आज से नहीं, कल से।” दूधवाले ने कहा।
“ठीक है, तो तय रहा कल से आप एक किलोग्राम की पैकेट हमारे घर छोड़ेंगे।” हमने कहा।
“नहीं साहब, मैं प्लास्टिक की थैली में दूध नहीं बेचता। मैं आपके सामने ही नाप कर आपके बर्तन में दूध दूंगा। यदि किसी दिन आपके घर में मेरे आने के समय कोई भी नहीं होंगे, तो एक बर्तन बाहर छोड़ दीजिएगा, मैं उसमें डाल दिया करूंगा।” दूधवाले ने कहा।
दूधवाले के जाने के बाद श्रीमती जी बोलीं, “देखा तेवर। घर-घर घूम कर दूध बेच रहा है और तेवर….”
“मैडम जी, उसने कुछ गलत तो नहीं कहा। यही तेवर आज हर आम और खास नागरिक में होने चाहिए।” हमने श्रीमती जी से कहा।
— डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा