हमीद के दोहे
बाल न बांका हो कभी, टूटे ज़रा न आस।
पालन हारे पर रखे , मानव जो विश्वास।
झेलेंगे हमले नये , खान बाजवा पाक।
सूतक की अब मार से, हो जायेंगे खाक।
पूरी ताक़त जोड़ कर,नहीं सके यदि जीत।
दो हाथों को जोड़कर , उसे बना लो मीत।
टीम हमारी आज है , दुनिया भर में बेस्ट।
जीते जिसने अनवरत , सात सात हैं टेस्ट।
पशु समान नेता बिकें, चले नोट का मंत्र।
इक मंडी सा हो रहा, अपना अब जनतंत्र।
फ्लाप सुपर जो योजना,कहते उसको टाप।
झूठी शान बघारते , हिटलर के हैं बाप।
रोज़ सियासत चल रही , अपनी टेढ़ी चाल।
उससे होता जा रहा , जन मानस बेहाल।
राजनीति के नाम पर, होती रोज़ अनीति।
दुःख जनता के दूर हों , अब ऐसी हो नीति।
— अब्दुल हमीद इदरीसी