गीतिका
बनकर रणचण्डी दुष्टों का संहार करो,
बच ना पाए काल से ऐसा प्रहार करो।
बस लोग तो मोमबत्ती ही जला सकते हैं,
लंका दहन के लिए खुद को तैयार करो।
आज आज चिल्लाएंगे कल भूल जाएंगे,
इन कायरों का तुम अब ना ऐतबार करो।
वो केशव भी नहीं आएंगे चीर बढ़ाने को,
इस कलयुग में मत उसकी पुकार करो।
बन लक्ष्मीबाई इज्जत का किला बचाओ,
जो सीना चीर दे खुद को वो तलवार करो।
“सुलक्षणा” लड़ेगी तुम्हारी हर लड़ाई अब,
बस बलात्कारियों पर तुम पलटवार करो।
— डॉ सुलक्षणा