गीतिका
हम शर्मिंदा नहीं बेशर्म हैं,
इसीलिए होते कुकर्म हैं।
अपना इतिहास भूल गए,
इसीलिए हो गए बेदम हैं।
शस्त्र नहीं मोमबत्ती उठाई,
इसीलिए आँखें हुई नम हैं।
उठो अन्यायी का करो वध,
सुनो! कहता यही हर धर्म है।
समय पर मिल जाये न्याय,
यही सबसे बड़ा मरहम है।
“सुलक्षणा” लड़ो लड़ाई,
तोड़ना व्यवस्था का भ्रम है।
— डॉ सुलक्षणा